प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में कई रंग देखने को मिल रहे हैं। कोई अध्यात्म में खोया है, तो कोई तपस्या में लीन है। कोई अपनी आराधना में मस्त है। इसी में बीच 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन होने वाले शाही स्नान के लिए 28 जनवरी से भीड़ का दबाव बढ़ने लगा। 28, 29 जनवरी की रात को संगम नोज पर भगदड़ में 30 लोगों ने आधिकारिक रूप से अपनी जानें गंवा दीं, जबकि कई दर्जन लोग घायल हो गए।
पुलिस प्रशासन ने किसी तरह स्थितियों को संभाला। अब जिम्मेदारों का प्रयास रहा कि लोगों को किसी तरह शहर से बाहर भेजा जाए। वह लोग उसमें जुट गए। भगदड़ की खबर के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं ने बड़ा दिल दिखाया। उन्होंने 29 जनवरी को तड़के से ही कैंपस और हॉस्टल के दरवाजे खोल दिए। थके हुए, मायूस और बुरी तरह बेहाल श्रद्धालुओं को न सिर्फ शरण दी, बल्कि पानी पिलाया, उन्हें चाय वितरित की। सबने खूब मेहनत की। 29, 30 और 31 जनवरी को छात्र छात्राओं के ऐसे कई वीडियो सामने आए, जिसमें वह सड़कों पर लोगों को पानी पिलाते हुए देखे जा रहे हैं।
एक तरफ ऐसे दृश्य थे, जिनकी लोग सराहना कर रहे थे, उन्हें आशीष दे रहे थे। मन से दुआ दे रहे थे। इसी बीच 29 जनवरी को शाम से कुछ ऐसे तत्व सक्रिय हुए, जो आपदा में अवसर ढूंढ रहे थे। वह परेशान, हतप्रभ श्रद्धालुओं पर गिद्ध नजरें गड़ाए बैठे थे, कि कैसे उनकी मजबूरी का फायदा उठाया जाए और कैसे उन्हें लूटा जाए। वह भारत की आत्मा ‘अतिथि देवो भव:’ के संकल्प को भूल चुके थे। ठीक उसी प्रकार जैसे जब कोरोना महामारी आई तो कुछ पैसों के भेड़िए रेमिडीसिवर और अन्य जरूरी दवाइयों की कालाबाजारी करने में जुट गए थे। उसी प्रकार जब तीर्थराज कहे जाने वाले प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में लोग परेशान हुए, हतप्रभ हुए, अपनों से बिछड़ गए, बेहाल थे, तो कुछ तत्व इन्हें लूटने के लिए सड़कों पर उतरे। इन दृश्यों को देखकर एक बार फिर कोरोना के दौरान के लोगों को लूटे जा रहे दृश्य ताजा हो गए।
एक से लेकर दो हजार तक प्रति व्यक्ति वसूली
30 और 31 तारीख को अमर उजाला के कैमरे में कुछ ऐसे दृश्य कैद हुए, जिन्हें देखकर मानवता शर्मसार हो गई। ऐसा महसूस हुआ कि इन पैसों के भूखे भेड़ियों को वाकई संवेदनाएं मर चुकी हैं। यह सच्चाई हैरान करने वाली थी, लेकिन थी तो सच्चाई ही। भगदड़ के बाद परेशान लोग अपनों को ढूंढ रहे थे। पैदल चलकर थक चुके थे। थकावट की वजह से कई यात्री इस हाल में थे कि एक कदम भी चलना दूभर था। ऐसे में कुछ तत्व उन यात्रियों को बाइक पर उनके गंतव्य स्थान तक छोड़ने की बात कहते। फिर इनसे सौदा तय करते। एक हजार से लेकर दो हजार तक प्रति व्यक्ति उनसे वसूल कर रहे थे।
… ऐसे पता चलता वास्तव में इनके साथ ठगी हो गई
चूंकि अधिकतर जगहों पर बाइक जाने की अनुमति नहीं थी, इसके बाद भी यह असामाजिक तत्व लोगों को मौके तक पहुंचाने की बात कहकर पैसे की उगाही कर रहे थे। सौदा तय करने के बाद उन्हें 1-2 किमी तक ले जाकर छोड़ देते और कहते बस आगे ही संगम है, या आगे ही स्टेशन है, या अस्पताल है। यानी जिसको जहां जाना होता था, उनकी मंजिल बताकर रफू चक्कर हो जाते। जब वह परेशान लोग वहां मौजूद लोगों से बात करके अपना पता पूछते, तब उन्हें पता चलता कि वह तो अपनी मंजिल से काफी दूर हैं। वास्तव में इनके साथ ठगी की गई है।
चौराहों पर पुलिसकर्मियों ने सवारी ढो रहे बाइकर्स को पकड़ा
चौराहों पर पुलिसकर्मियों ने पकड़ा
इस तरह की लूट की घटनाएं जब बढ़ीं तो इसकी शिकायत अधिकारियों से हुई। इसके बाद चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मियों तक यह संदेश आया कि ऐसे लोगों की पहचान करें और कार्रवाई करें। बालशन चौराहे पर तैनात पुलिसकर्मियों ने ऐसे कई बाइक सवारों को पकड़ा जो बाइक पर 2-2, 3-3 सवारियां ढो रहे थे। यहां अचंभित करने वाली बात यह रही कि उन्होंने श्रद्धालुओं से पैसे के साथ एक बात यह भी तय कर ली थी कि कोई पुलिसकर्मी पकड़े और पूछे तो यह बताना कि यह हमें फ्री में छोड़ने जा रहे हैं। यह सेवा कर रहे हैं। पूछताछ में यह बात सामने आई तो लोग इन शातिरों के दिभागी चाल को सोचकर अचंभित रह गए। यानी यह श्रद्धालुओं को ठग भी रहे थे और समाजसेवी भी कहलाना चाहते थे। बालशन चौराहे पर पुलिस ने सवारी ढो रहे बाइकर्स को पकड़ा
श्रद्धालुओं से जमकर लूट मचा रखी…
बालशन चौराहे पर तैनात एक पुलिसकर्मी ने अमर से बातचीत में बताया कि ऐसे तत्वों ने श्रद्धालुओं से जमकर लूट मचा रखी है। बताया कि पूछताछ के बाद यह सामने आया है कि एक एक बाइकर्स ने दो दिन में 50 हजार से लेकर एक से डेढ़ लाख तक रुपए कमाए हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन ठगों ने श्रद्धालुओं के साथ किस स्तर तक की ठगी की है।
आइए अब आपको कुछ ऐसे दृश्यों से वाकिफ करते हैं, जिन्हें अमर उजाला ने अपने कैमरे में कैद किया। ऐसे लुटेरों से बातचीत के कुछ अंश-
दृश्य-1
अमर उजाला रिपोर्टर भूपेंद्र सिंह ने 30 जनवरी की रात करीब 10 बजे, सिविल लाइन हनुमान मंदिर के पास चौराहे पर पल्सर गाड़ी पर मौजूद बाइकर्स से सवारी बनकर बात की। बाइकर्स युवा थे। उनकी उम्र यही करीब 18-20 वर्ष के आसपास की होगी।
रिपोर्टर- तेलियरगंज की तरफ ब्लड बैंक चौराहे तक जाना है।
बाइकर्स- छोड़ देंगें।
रिपोर्टर- कितना किराया पड़ेगा।
बाइकर्स- एक व्यक्ति का 100 रुपये लेंगे।
रिपोर्टर- लेकिन वहां का किराया तो 10 रुपये पड़ता है।
बाइकर्स- अभी इतना ही पड़ेगा।
रिपोर्टर- थोड़ा कैजुअली होते हुए, आप लोग कहां रहते हैं।
बाइकर्स- यहीं शिवकुटी, गोविंदपुरी में।
रिपोर्टर- क्या करते हो?
बाइकर्स- पढ़ाई।
रिपोर्टर- कहां पढ़ते हो.
बाइकर्स का दावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में, बीएससी इन जूलॉजी बॉटनी।
आगे बात करते समय इन्हें शक हुआ कि बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग हो रही है, यह बाइक स्टार्ट करके भाग गए।
ठीक यहीं पर एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति मिला। उसने पूछा तेलियरगंज कि तरफ जाना है क्या? रिपोर्टर ने कहा हां, कितना पैसा लगेगा? इस पर बाइकर्स ने कहा कि 100 रुपये। रिपोर्टर ने आगे बात करनी चाही, लेकिन इसे वीडियो रिकॉर्डिंग की शंका हुई और यह वहां से चला गया।
दृश्य-2
31 जनवरी की सुबह करीब 11 बजे, स्थान- बालशन चौराहा।
पुलिसकर्मी चेकिंग करते हुए, ऐसे बाइकर्स की पहचान कर रहे थे, जो श्रद्धालुओं को बैठाकर ठगी कर रहे थे। इसी समय दो श्रद्धालुओं को बैठाकर एक बाइकर्स आया। उम्र करीब 20-22 वर्ष, रही होगी। पुलिसकर्मी ने इसे रोका।
पुलिसकर्मी ने श्रद्धालुओं से पूछा कितने पैसे लिए? उन्होंने बताया कि 200 रुपये एक व्यक्ति का। पुलिस ने बाइकर्स को रोक लिया। श्रद्धालुओं को उतरकर दूसरे साधन से जाने के लिए कहा। इसके बाद बाइकर्स मिन्नतें करने लगा। बोला हम फ्री में छोड़ने जा रहे हैं। पूछने पर बताया कि वह पढ़ाई करता है। पुलिस ने छात्र होने के नाते आगे से ऐसा न करने की हिदायत देकर छोड़ दिया।
दृश्य-3
31 जनवरी की देर शाम, समय करीब 8 बजे। स्थान-संगम नोज से पहले कक्षप द्वार के पास। एक बाइकर्स मिला।
बाइकर्स- कहां जाना है।
रिपोर्टर- बाहर की ओर (यानी चुंगी पुल के नीचे जहां से स्टेशन या अन्य जगह के लिए ऑटो मिलते हैं)।
बाइकर्स- आइए छोड़ देते हैं।
रिपोर्टर- कितने पैसे लोगे।
बाइकर्स- एक लोग का 100 रुपये।
रिपोर्टर- लेकिन ये तो बहुत ज्यादा है, वहां का तो अधिकतम किराया 10 रुपये है।
बाइकर्स- इतना ही पड़ेगा।
इसके बाद इसने कैमरा ऑन देख लिया तो वहां से भागने लगा। इसी बीच बातचीत सुनकर एक पुलिसकर्मी आ गया। उसे देखकर यह समाज सेवा की बात कहकर वहां से भाग निकला। यहां मौके पर आए पुलिसकर्मी ने बताया कि यह लोग काफी परेशान कर लिए हैं। सुबह से कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन मान नहीं रहे। पकड़ने पर गिड़गिड़ाने लगते हैं। एक को छोड़ो तो अन्य कई सक्रिय हो जाते हैं। श्रद्धालुओं को जागरूक किया जा रहा है कि ऐसे लोगों की बातों में ना आएं।
दृश्य-4
31 जनवरी की रात, समय करीब 10 बजे। स्थान-चुंगी पुल के नीचे (यहीं से स्टेशन या अन्य स्थानों के लिए ऑटो, बस और ई रिक्शा मिल रहे थे)। यहां दिल्ली नंबर की पल्सर गाड़ी लेकर एक बाइकर्स खड़ा था। हमे देखा तो सवारी समझकर छोड़ने के लिए पूछा।
बाइकर्स- कहां जाएंगे?
रिपोर्टर- सिविल लाइन जाएंगे।
बाइकर्स- छोड़ देंगे।
रिपोर्टर- कितने पैसे लोगे?
बाइकर्स- 200 रुपये एक व्यक्ति का।
रिपोर्टर- लेकिन वहां का किराया तो 10-20 रुपये ही पड़ता है।
बाइकर्स- आज इतना ही पड़ेगा।
रिपोर्टर- आपकी बाइक ओला, उबर या रैपिडो जैसी कंपनी में रजिस्टर्ड है क्या?
बाइकर्स- नहीं।
रिपोर्टर- तो फिर आप सवारियां कैसे ढो रहे हो?
बाइकर्स- पूरे शहर में बाइख चल रही हैं दो दिन से…
बातचीत के बीच वीडियो बनाता देख बाइक स्टार्ट करके भाग निकला।