Thursday, December 19, 2024
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राकेश टिकैत को अनजान नंबर से मिली हत्या की धमकी, पुलिस ने शुरू की जांच

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भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को कथित तौर पर जान से मारने की धमकी मिली है। इस बात की जानकारी पुलिस ने सोमवार को दी है। फिलहाल, आरोपी के बारे में पता नहीं चल सका है। इधर, पुलिस ने दर्ज कराई शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी है। खबर है कि जांच के दौरान पुलिस ने टिकैत से भी चर्चा की है।

टिकैत को अज्ञात कॉलर ने कथित रूप से हत्या की धमकी दी और अपशब्द कहे हैं। मुजफ्फरनगर एसएसपी अभिषेक यादव ने मामले की जांच शुरू कर दी है। बीकेयू नेता के ड्राइवर पेरजवाल त्यागी ने सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर राकेश शर्मा की अगुवाई में पुलिस की टीम टिकैत के घर पर भी पहुंची और बात की।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, त्यागी की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर धारा 504 और 506 के तहत FIR दर्ज की गई है। मुजफ्फरनगर (शहर) डीएसपी कुलदीप सिंह ने भी बताया कि मामले में जांच शुरू कर दी गई है।

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टिकैत ने बताया कि इससे पहले भी इस तरह की शिकायत दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटना हुई है। मैंने पहले भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। किसी ने मुझे फोन किया, गाली दी और जान से मारने की धमकी दी। अगर पुलिस कॉलर को खोजने में असफल रहती है, तो मैं नंबर को सार्वजनिक कर दूंगा। उस आदमी की गिरफ्तारी होनी चाहिए।’

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केंद्र के नियमों के तहत आएंगे चंडीगढ़ के कर्मचारी, भड़के भगवंत मान

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चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को केंद्र के नियमों के तहत लाने के सरकार के फैसले पर भगवंत मान ने कहा है कि अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों को चंडीगढ़ पर थोपा जा रहा है और यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पंजाब चंडीगढ़ पर अपने सही दावे के लिए मजबूती से लड़ेगा। 

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि 1 अप्रैल से चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों को केंद्रीय सेवा नियमों के दायरे में लाया जाएगा। अब इन कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं भी केंद्र के नियमों के मुताबिक मिलेंगी। कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 58 से बढ़कर 60 साल हो जाएगी। अब इसको लेकर केंद्र और पंजाब की नई सरकार के बीच ठन गई है।

क्यों चंडीगढ़ पर दावा ठोक रहे हैं पंजाब, हिमाचल और हरियाणा?

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पंजाब हमेशा दावा करता रहा है कि चंडीगढ़ उसी का हिस्सा है। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते में भी इस बात का जिक्र किया गया था। केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध अकाली दल ने भी किया था। 

क्या है विवाद?
18 सितंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन ऐक्ट पास हुआ था। जानकारों के मुताबिक इस ऐक्ट में प्रावधान है कि चंडीगढ़ में 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब से और बाकी 40 फीसदी हरियाणा से होंगे। हरियाणा के नेता चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकते हैं और कहते हैं कि यह अंबाला का हिस्सा था और अंबाला हरियाणा में है। वहीं पंजाब इसे अपना अभिन्न हिस्सा बताता है। हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकता है।
 

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