Thursday, December 19, 2024
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बीरभूम हिंसा पर बंगाल विधानसभा में हंगामा, अधिकारी ने लगाया पिटाई का आरोप; 5 विधायक निलंबित

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पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीरभूम घटना को लेकर सोमवार को भारी हंगामा हुआ। मामला यहां तक बढ़ गया कि सदन के पटल पर टीएमसी और भाजपा विधायकों के बीच झड़प हो गई। टीएमसी के एक विधायक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, उनकी नाक से खून आ रहा था। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया कि टीएमसी और सुरक्षा कर्मियों ने आठ भाजपा विधायकों को घायल कर दिया है।

हुगली जिले के चिनसुराह से टीएमसी विधायक असित मजूमदार ने दावा किया कि उन्हें सुवेंदु अधिकारी ने मारा। उन्होंने कहा, “जब मैं विधानसभा के अंदर सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई कर रहे भाजपा विधायकों को हाथ जोड़कर रोकने गया तो मेरा चश्मा टूट गया।”

अधिकारी समेत इन 5 भाजपा विधायकों को किया गया निलंबित
इसके बाद विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी सहित 5 भाजपा विधायकों को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। अध्यक्ष ने अधिकारी के अलावा भाजपा विधायक दीपक बर्मन, शंकर घोष, मनोज तिग्गा और नरहरि महतो को 2022 के आगामी सभी सत्रों के लिए निलंबित कर दिया है।

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सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “सदन का आखिरी दिन होने के चलते हमने राज्य के कानून व्यवस्था पर चर्चा की मांग की। ऐसा न होने के बाद संवैधानिक तरीके से विरोध किया, जिसके बाद सिविल ड्रेस पहने पुलिसकर्मियों और TMC के विधायकों ने हमारे (भाजपा के) विधायकों के साथ मारपीट की। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया कि टीएमसी और सुरक्षा कर्मियों ने आठ भाजपा विधायकों को घायल कर दिया है।

अधिकारी बोले- विधायक सदन के भीतर भी सुरक्षित नहीं
अधिकारी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस, उनके गुंडे और पुलिस के खिलाफ हमारा मार्च है। इसको लेकर हम स्पीकर के पास भी जाएंगे। बंगाल में जो हालत है, उसको लेकर केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। अधिकारी ने कहा, “विधायक सदन के भीतर भी सुरक्षित नहीं हैं। तृणमूल के विधायकों ने सचेतक मनोज तिग्गा सहित हमारे कम से कम 8-10 विधायकों के साथ मारपीट की, क्योंकि हम कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान की मांग कर रहे थे।”

‘विधानसभा में अराजकता फैलाने के लिए नाटक कर रही भाजपा’
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के नेता व राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा, विधानसभा में अराजकता फैलाने के लिए नाटक कर रही है। उन्होंने कहा कि सदन में हमारे कुछ विधायक घायल हो गए हैं। हम भाजपा के इस कृत्य की निंदा करते हैं।

बीरभूम में क्या हुआ था…
बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)  बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसक घटना की जांच कर रही है। जिले के बोगटुई गांव में अज्ञात लोगों ने 21 मार्च को 10 घरों में आग लगा दी थी, जिसमें महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई थी। विपक्ष ने इस हिंसक वारदात के पीछे टीएमसी नेताओं का हाथ होने का आरोप लगाया है।

‘ममता बनर्जी ने CBI टीम को डराने का काम किया’
वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बीरभूम में छानबीन जारी है। कांग्रेस ने भी कोर्ट में CBI की देख रेख में जांच की मांग की थी। ममता बनर्जी ने CBI टीम को डराने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी राज्य का CM ऐसे बयान देता है तो उससे जाहिर है कि जांच में अड़चनें डालने के प्रयास शुरू हो गए हैं।

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राकेश टिकैत को अनजान नंबर से मिली हत्या की धमकी, पुलिस ने शुरू की जांच

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भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को कथित तौर पर जान से मारने की धमकी मिली है। इस बात की जानकारी पुलिस ने सोमवार को दी है। फिलहाल, आरोपी के बारे में पता नहीं चल सका है। इधर, पुलिस ने दर्ज कराई शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी है। खबर है कि जांच के दौरान पुलिस ने टिकैत से भी चर्चा की है।

टिकैत को अज्ञात कॉलर ने कथित रूप से हत्या की धमकी दी और अपशब्द कहे हैं। मुजफ्फरनगर एसएसपी अभिषेक यादव ने मामले की जांच शुरू कर दी है। बीकेयू नेता के ड्राइवर पेरजवाल त्यागी ने सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर राकेश शर्मा की अगुवाई में पुलिस की टीम टिकैत के घर पर भी पहुंची और बात की।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, त्यागी की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर धारा 504 और 506 के तहत FIR दर्ज की गई है। मुजफ्फरनगर (शहर) डीएसपी कुलदीप सिंह ने भी बताया कि मामले में जांच शुरू कर दी गई है।

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टिकैत ने बताया कि इससे पहले भी इस तरह की शिकायत दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटना हुई है। मैंने पहले भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। किसी ने मुझे फोन किया, गाली दी और जान से मारने की धमकी दी। अगर पुलिस कॉलर को खोजने में असफल रहती है, तो मैं नंबर को सार्वजनिक कर दूंगा। उस आदमी की गिरफ्तारी होनी चाहिए।’

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केंद्र के नियमों के तहत आएंगे चंडीगढ़ के कर्मचारी, भड़के भगवंत मान

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चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को केंद्र के नियमों के तहत लाने के सरकार के फैसले पर भगवंत मान ने कहा है कि अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों को चंडीगढ़ पर थोपा जा रहा है और यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पंजाब चंडीगढ़ पर अपने सही दावे के लिए मजबूती से लड़ेगा। 

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि 1 अप्रैल से चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों को केंद्रीय सेवा नियमों के दायरे में लाया जाएगा। अब इन कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं भी केंद्र के नियमों के मुताबिक मिलेंगी। कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 58 से बढ़कर 60 साल हो जाएगी। अब इसको लेकर केंद्र और पंजाब की नई सरकार के बीच ठन गई है।

क्यों चंडीगढ़ पर दावा ठोक रहे हैं पंजाब, हिमाचल और हरियाणा?

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पंजाब हमेशा दावा करता रहा है कि चंडीगढ़ उसी का हिस्सा है। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते में भी इस बात का जिक्र किया गया था। केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध अकाली दल ने भी किया था। 

क्या है विवाद?
18 सितंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन ऐक्ट पास हुआ था। जानकारों के मुताबिक इस ऐक्ट में प्रावधान है कि चंडीगढ़ में 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब से और बाकी 40 फीसदी हरियाणा से होंगे। हरियाणा के नेता चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकते हैं और कहते हैं कि यह अंबाला का हिस्सा था और अंबाला हरियाणा में है। वहीं पंजाब इसे अपना अभिन्न हिस्सा बताता है। हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकता है।
 

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