Wednesday, December 18, 2024
Home Blog Page 667

एक सप्ताह में आउट होंगे इमरान खान! विपक्ष ने बनाया प्लान- इस नेता को मिलेगी पाकिस्तान की कमान

0

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की कुर्सी हिलती दिख रही है और इस बीच उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सहयोगी दल भी साथ छोड़ रहे हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग (Q) ने विपक्षी दल पीएमएल-नवाज के साथ डील कर ली है। दोनों दलों का मानना है कि अगले एक सप्ताह के अंदर इमरान खान को पद से इस्तीफा देना होगा और इसके बाद नई सरकार का गठन होगा। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि इमरान खान के बाद नवाज शरीफ के छोटे भाई शाहबाज शरीफ को पीएम बनाने की डील कर ली गई है। इसके अलावा इमरान खान के कट्टर विरोधी नेता जमीयत उलेमा-ए-इस्लामा के नेता मौलाना फजलुर्रहमान को आरिफ अल्वी की जगह पर नया राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। 

इसके अलावा चेयरमैन का पद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता युसूफ रजा गिलानी के पास जा सकता है। बता दें कि पाकिस्तान में विपक्षी दलों ने इमरान खान के खिलाफ आज शाम 4 बजे संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का फैसला लिया है। इसके अलावा पंजाब के सीएम उस्मान बुजदार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, जो इमरान खान की ही पार्टी के नेता हैं। उनकी जगह पर चौधरी परवेज इलाही को सीएम का पद दिए जाने की तैयारी है, जो फिलहाल पंजाब की असेंबली के स्पीकर हैं। पंजाब विधानसभा में कुल 126 विधायकों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है, लेकिन सीएम को पद से हटाने के लिए जरूरी है कि इसके पक्ष में कम से कम 186 वोट पड़ें। 

पंजाब की विधानसभा में कुल 371 सीटें हैं। इमरान खान की पार्टी के पास सूबे में कुल 183 सीटें हैं, जबकि पीएमएल-क्यू के पास 165 सीटें हैं, जबकि पीएमएल-एन के पास 10 और पीपीपी के पास 7 सीटें हैं। इसके अलावा पाकिस्तान राह-ए-हक पार्टी का एक विधायक है और 5 निर्दलीय सदस्य हैं। पंजाब के सीएम उस्मान बुजदार को इमरान खान का बेहद करीबी माना जाता है। ऐसे में उनका सत्ता से हटना इमरान खान के लिए बड़ा झटका होगा, जो खुद सत्ता खोने के करीब हैं। इमरान खान के खिलाफ आज शाम को 4 बजे अविश्वास प्रस्ताव आएगा और उस पर बहस के बाद तीन के भीतर वोटिंग कराई जाएगी।

Source

गुजरात में सिर्फ पोस्टरों पर है आम आदमी पार्टी, जीत हमारी ही होगी: सीएम भूपेंद्र पटेल

0

इस साल के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इन चुनावों में भाजपा की जीत पर विश्वास जताया है। इससे पहले के चुनाव में प्रमुख मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच था। हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी भी ताल ठोक रही है। हाल ही में पंजाब में धमाकेदार जीत के बाद आम आदमी पार्टी गुजरात में चुनाव लड़ने के लिए उत्साहित है। 

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पटेल ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी ही क्या, कोई भी पार्टी चुनाव लड़ सकती है। यह लोकतंत्र का हिस्सा है। बात जब भाजपा की आती है तो किसी भी पार्टी का जादू नहीं चल पाएगा। गांधीनगर के निकाय चुनाव के दौरान भी आम आदमी पार्टी के बारे में बढ़ा चढ़ाकर बातें की गई थीं। भाजपा के 41 से 44 सीट जीतने के बाद उनके सपने चकनाचूर हो गए।’

भूपेंद्र पटेल ने कहा कि आम आदमी पार्टी केवल पोस्टरों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘जनता ने सोच लिया है कि गुजरात में विपक्ष को गिनी-चुनीं सीटें ही दी जाएंगी। चाहे कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी, थोड़ी सी सीटों पर उन्हें संतोष करना पड़ेगा। अब भी राज्य के लोग भाजपा को पसंद करते हैं। हम लगातार जनता के लिए काम करते रहेंगे। हमारा ट्रैक रेकॉर्ड बताता है कि जनता की पहली पसंद भारतीय जनता पार्टी है और छठी बार लोगों की सेवा का मौका मिलेगा।’

संबंधित खबरें

उन्होंने कहा, भाजपा का हर एक कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी से प्रेरणा लेता है। हम उनके काम को केवल आगे बढ़ाने का काम करते हैं। कोई भी उनकी बराबरी नहीं कर सकता। बता देंकि पिछले साल सितंबर में विजय रूपानी ने सीएम की कुर्सी छोड़ी दी थी और उसके बाद भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। 

Source

क्यों चंडीगढ़ पर दावा ठोक रहे हैं पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश? समझें पूरा मामला

0

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को घोषणा कर दी है कि चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारी सोमवार 28 मार्च से केंद्र सरकार के कर्मचारी माने जाएंगे। शाह की इस घोषणा के बाद से ही पंजाब पुनर्गठन अधिनियम या पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इधर, सियासी दल भी केंद्र पर निशाना साध रहे हैं। वहीं, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर दावेदारी पेश करने लगे हैं। अब विस्तार से समझते हैं…

गृहमंत्री की तरफ से हुई घोषणा के बाद पंजाब में असंतोष पैदा होता नजर आ रहा है। यहां सियासी दल आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार पंजाब को लोगों को अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 18 सितंबर 1966 में पास हुआ था। यह अधिनियम पंजाब और हरियाणा और चंडीगढ़ के गठन और पहाड़ी इलाकों को हिमाचल प्रदेश को देने के बाद लागू हुआ था। 

पंजाब: लोंगोवाल समझौता
पंजाब में सरकारें दावा करती रही हैं कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न अंग है। पंजाब के राजनेता इसके लिए साल 1985 में हुए राजीव लोंगोवाल समझौते का हवाला देते हैं। अकाली दल का मानना है कि केंद्र की तरफ से उठाया गया यह कदम पंजाब के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश थी। पार्टी का कहना है कि रविवार तक यूटी के कर्मचारी पंजाब सिविल सर्विसेज नियमों के तहत काम कर रहे थे।

संबंधित खबरें

पार्टी के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम में बताया गयाहै कि चंडीगढ़ के 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब और 40 फीसदी हरियाणा से होंगे। वहीं, कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खेड़ा चंडीगढ़ को ‘विवादित क्षेत्र’ बताते हैं।

चंडीगढ़: बता रहे हैं अंबाला का हिस्सा
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के आधार पर हरियाणा भी चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोक रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था, ‘चंडीगढ़ हरियाणा का है और हमेशा हरियाणा का हिस्सा रहेगा।’ स्थानीय राजनेताओं का कहना है कि चंडीगढ़ अंबाला जिले का हिस्सा था और इसे हरियाणा से अलग नहीं किया जा सकता।

हिमाचल: सुप्रीम कोर्ट का फैसला
27 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट के आदेश में कहा गया था पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के आधार पर हिमाचल प्रदेश चंडीगढ़ की 7.19 फीसदी जमीन का हकदार है। राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी दावा कर रहे हैं कि राज्य भाखड़ा नंगल पावर प्रोजेक्ट से तैयार होने वाली 7.91 बिजली का हकदार है। उन्होंने कहा था, ‘राज्य को चंडीगढ़ में अपना हिस्सा मिलना चाहिए।’

Source

पीएम मोदी ने कुछ किया होगा तभी चुनाव जीत रहे हैं और दुनिया में जलवा है: NCP नेता

0

शरद पवार की पार्टी एनसीपी के नेता माजिद मेमन ने पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। माजिद मेमन ने ट्वीट कर रहा कि यदि पीएम नरेंद्र मोदी ने लोगों का जनादेश हासिल किया है और दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता माने गए हैं तो जरूर उनमें कुछ क्वॉलिटी होगी। माजिद मेमन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जरूर कुछ अच्छे काम किए होंगे, जिसके चलते उन्हें लोगों का समर्थन मिल रहा है, जबकि विपक्षी नेता ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। माजिद मेमन 2014 से 2020 के दौरान राज्यसभा के सांसद थे। एनसीपी के मुस्लिम चेहरे कहे जाने वाले माजिद मेमन की यह टिप्पणी अहम है।

एनसीपी महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में साझीदार है और भाजपा विपक्ष में है। हाल ही में एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक को दाऊद से जुड़ी बेनामी संपत्तियों के मामले में अरेस्ट किया गया था। इसके बाद से एनसीपी लगातार भाजपा पर हमला कर रही है। इस बीच माजिद मेमन की पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ में की गई यह टिप्पणी अहम है। हालांकि उनकी इस टिप्पणी पर ट्विटर पर लोग कह रहे हैं कि शायद माजिद मेमन पार्टी बदलने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं कुछ लोगों ने विपक्षी नेता होने के बाद भी पीएम नरेंद्र मोदी की सराहना करने को लेकर उनकी तारीफ की।

संबंधित खबरें

इससे पहले 25 मार्च को ही माजिद मेमन ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार पर निशाना साधा था। माजिद मेमन ने कहा था कि जब आप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा करते हैं तो इससे अपने आप ही हर चीज के दाम बढ़ जाते हैं। देश में सभी चीजों और सेवाओं के दामों में इससे इजाफा हो जाता है। इसके चलते देश के 130 करोड़ लोग सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं। नवाब मलिक और माजिद मेमन को एनसीपी के मुस्लिम चेहरों में गिना जाता है, जो शरद पवार के भी करीबी नेता रहे हैं।

Source

बीरभूम हिंसा पर बंगाल विधानसभा में हंगामा, अधिकारी ने लगाया पिटाई का आरोप; 5 विधायक निलंबित

0

पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीरभूम घटना को लेकर सोमवार को भारी हंगामा हुआ। मामला यहां तक बढ़ गया कि सदन के पटल पर टीएमसी और भाजपा विधायकों के बीच झड़प हो गई। टीएमसी के एक विधायक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, उनकी नाक से खून आ रहा था। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया कि टीएमसी और सुरक्षा कर्मियों ने आठ भाजपा विधायकों को घायल कर दिया है।

हुगली जिले के चिनसुराह से टीएमसी विधायक असित मजूमदार ने दावा किया कि उन्हें सुवेंदु अधिकारी ने मारा। उन्होंने कहा, “जब मैं विधानसभा के अंदर सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई कर रहे भाजपा विधायकों को हाथ जोड़कर रोकने गया तो मेरा चश्मा टूट गया।”

अधिकारी समेत इन 5 भाजपा विधायकों को किया गया निलंबित
इसके बाद विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी सहित 5 भाजपा विधायकों को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। अध्यक्ष ने अधिकारी के अलावा भाजपा विधायक दीपक बर्मन, शंकर घोष, मनोज तिग्गा और नरहरि महतो को 2022 के आगामी सभी सत्रों के लिए निलंबित कर दिया है।

संबंधित खबरें

सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “सदन का आखिरी दिन होने के चलते हमने राज्य के कानून व्यवस्था पर चर्चा की मांग की। ऐसा न होने के बाद संवैधानिक तरीके से विरोध किया, जिसके बाद सिविल ड्रेस पहने पुलिसकर्मियों और TMC के विधायकों ने हमारे (भाजपा के) विधायकों के साथ मारपीट की। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया कि टीएमसी और सुरक्षा कर्मियों ने आठ भाजपा विधायकों को घायल कर दिया है।

अधिकारी बोले- विधायक सदन के भीतर भी सुरक्षित नहीं
अधिकारी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस, उनके गुंडे और पुलिस के खिलाफ हमारा मार्च है। इसको लेकर हम स्पीकर के पास भी जाएंगे। बंगाल में जो हालत है, उसको लेकर केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। अधिकारी ने कहा, “विधायक सदन के भीतर भी सुरक्षित नहीं हैं। तृणमूल के विधायकों ने सचेतक मनोज तिग्गा सहित हमारे कम से कम 8-10 विधायकों के साथ मारपीट की, क्योंकि हम कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान की मांग कर रहे थे।”

‘विधानसभा में अराजकता फैलाने के लिए नाटक कर रही भाजपा’
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के नेता व राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा, विधानसभा में अराजकता फैलाने के लिए नाटक कर रही है। उन्होंने कहा कि सदन में हमारे कुछ विधायक घायल हो गए हैं। हम भाजपा के इस कृत्य की निंदा करते हैं।

बीरभूम में क्या हुआ था…
बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)  बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसक घटना की जांच कर रही है। जिले के बोगटुई गांव में अज्ञात लोगों ने 21 मार्च को 10 घरों में आग लगा दी थी, जिसमें महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई थी। विपक्ष ने इस हिंसक वारदात के पीछे टीएमसी नेताओं का हाथ होने का आरोप लगाया है।

‘ममता बनर्जी ने CBI टीम को डराने का काम किया’
वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बीरभूम में छानबीन जारी है। कांग्रेस ने भी कोर्ट में CBI की देख रेख में जांच की मांग की थी। ममता बनर्जी ने CBI टीम को डराने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी राज्य का CM ऐसे बयान देता है तो उससे जाहिर है कि जांच में अड़चनें डालने के प्रयास शुरू हो गए हैं।

Source

राकेश टिकैत को अनजान नंबर से मिली हत्या की धमकी, पुलिस ने शुरू की जांच

0

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को कथित तौर पर जान से मारने की धमकी मिली है। इस बात की जानकारी पुलिस ने सोमवार को दी है। फिलहाल, आरोपी के बारे में पता नहीं चल सका है। इधर, पुलिस ने दर्ज कराई शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी है। खबर है कि जांच के दौरान पुलिस ने टिकैत से भी चर्चा की है।

टिकैत को अज्ञात कॉलर ने कथित रूप से हत्या की धमकी दी और अपशब्द कहे हैं। मुजफ्फरनगर एसएसपी अभिषेक यादव ने मामले की जांच शुरू कर दी है। बीकेयू नेता के ड्राइवर पेरजवाल त्यागी ने सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर राकेश शर्मा की अगुवाई में पुलिस की टीम टिकैत के घर पर भी पहुंची और बात की।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, त्यागी की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर धारा 504 और 506 के तहत FIR दर्ज की गई है। मुजफ्फरनगर (शहर) डीएसपी कुलदीप सिंह ने भी बताया कि मामले में जांच शुरू कर दी गई है।

संबंधित खबरें

टिकैत ने बताया कि इससे पहले भी इस तरह की शिकायत दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटना हुई है। मैंने पहले भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। किसी ने मुझे फोन किया, गाली दी और जान से मारने की धमकी दी। अगर पुलिस कॉलर को खोजने में असफल रहती है, तो मैं नंबर को सार्वजनिक कर दूंगा। उस आदमी की गिरफ्तारी होनी चाहिए।’

Source

केंद्र के नियमों के तहत आएंगे चंडीगढ़ के कर्मचारी, भड़के भगवंत मान

0

चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को केंद्र के नियमों के तहत लाने के सरकार के फैसले पर भगवंत मान ने कहा है कि अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों को चंडीगढ़ पर थोपा जा रहा है और यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पंजाब चंडीगढ़ पर अपने सही दावे के लिए मजबूती से लड़ेगा। 

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि 1 अप्रैल से चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों को केंद्रीय सेवा नियमों के दायरे में लाया जाएगा। अब इन कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं भी केंद्र के नियमों के मुताबिक मिलेंगी। कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 58 से बढ़कर 60 साल हो जाएगी। अब इसको लेकर केंद्र और पंजाब की नई सरकार के बीच ठन गई है।

क्यों चंडीगढ़ पर दावा ठोक रहे हैं पंजाब, हिमाचल और हरियाणा?

संबंधित खबरें

पंजाब हमेशा दावा करता रहा है कि चंडीगढ़ उसी का हिस्सा है। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते में भी इस बात का जिक्र किया गया था। केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध अकाली दल ने भी किया था। 

क्या है विवाद?
18 सितंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन ऐक्ट पास हुआ था। जानकारों के मुताबिक इस ऐक्ट में प्रावधान है कि चंडीगढ़ में 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब से और बाकी 40 फीसदी हरियाणा से होंगे। हरियाणा के नेता चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकते हैं और कहते हैं कि यह अंबाला का हिस्सा था और अंबाला हरियाणा में है। वहीं पंजाब इसे अपना अभिन्न हिस्सा बताता है। हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकता है।
 

Source

Hello world!

1

Welcome to WordPress. This is your first post. Edit or delete it, then start writing!

1