केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को घोषणा कर दी है कि चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारी सोमवार 28 मार्च से केंद्र सरकार के कर्मचारी माने जाएंगे। शाह की इस घोषणा के बाद से ही पंजाब पुनर्गठन अधिनियम या पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इधर, सियासी दल भी केंद्र पर निशाना साध रहे हैं। वहीं, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर दावेदारी पेश करने लगे हैं। अब विस्तार से समझते हैं…
गृहमंत्री की तरफ से हुई घोषणा के बाद पंजाब में असंतोष पैदा होता नजर आ रहा है। यहां सियासी दल आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार पंजाब को लोगों को अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 18 सितंबर 1966 में पास हुआ था। यह अधिनियम पंजाब और हरियाणा और चंडीगढ़ के गठन और पहाड़ी इलाकों को हिमाचल प्रदेश को देने के बाद लागू हुआ था।
पंजाब: लोंगोवाल समझौता
पंजाब में सरकारें दावा करती रही हैं कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न अंग है। पंजाब के राजनेता इसके लिए साल 1985 में हुए राजीव लोंगोवाल समझौते का हवाला देते हैं। अकाली दल का मानना है कि केंद्र की तरफ से उठाया गया यह कदम पंजाब के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश थी। पार्टी का कहना है कि रविवार तक यूटी के कर्मचारी पंजाब सिविल सर्विसेज नियमों के तहत काम कर रहे थे।
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पार्टी के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम में बताया गयाहै कि चंडीगढ़ के 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब और 40 फीसदी हरियाणा से होंगे। वहीं, कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खेड़ा चंडीगढ़ को ‘विवादित क्षेत्र’ बताते हैं।
चंडीगढ़: बता रहे हैं अंबाला का हिस्सा
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के आधार पर हरियाणा भी चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोक रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था, ‘चंडीगढ़ हरियाणा का है और हमेशा हरियाणा का हिस्सा रहेगा।’ स्थानीय राजनेताओं का कहना है कि चंडीगढ़ अंबाला जिले का हिस्सा था और इसे हरियाणा से अलग नहीं किया जा सकता।
हिमाचल: सुप्रीम कोर्ट का फैसला
27 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट के आदेश में कहा गया था पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के आधार पर हिमाचल प्रदेश चंडीगढ़ की 7.19 फीसदी जमीन का हकदार है। राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी दावा कर रहे हैं कि राज्य भाखड़ा नंगल पावर प्रोजेक्ट से तैयार होने वाली 7.91 बिजली का हकदार है। उन्होंने कहा था, ‘राज्य को चंडीगढ़ में अपना हिस्सा मिलना चाहिए।’