लखनऊ: 6 जूनउत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के मुख्यालय शक्तिभवन मे ERP को ले कर चर्चाओ का बाजार गर्मी मे बहुत गर्म है कुछ समय पूर्व बडका बाबू ने अपने तुगलकी फरमान के जरिए ERP साफ्टवेयर को लागू किया था शुरू से ही इस साफ्टवेयर की खरीद को लेकर कर अभियन्ता संघ अपनी अवाज उठाने चाह रहा है लेकिन अभियन्ता संघ भूतपूर्व वर्तमान मे सेवानिवृत्त हो चुके अध्यक्ष और 25 लाख की गाडी से चलने वाले महासचिव महोदय के भ्रष्टाचार की वजह से प्रबन्धन उनकी गर्दन पर पाव रखा होने के कारण विरोध की अवाज ज्यादा जोर से नही निकल पाई जिसका खामियाज पूरे पावर कार्पोरेशन और उपभोक्त वर्ग को झेलना पड रहा है वर्तमान मे इस साफ्टवेयर की एक और बडी खामी की चर्चा मुख्यालय से ले कर डिस्कॉम तक है कि अवैध रूप से तैनात अनुभवहीन बडका बाबूओ की वजह ERP प्रणाली लागू होने के कारण जो इनकम पूर्व मे समय से दाखिल हो जाता था इस बार इन्कम टैक्स रिटर्न विभाग द्वारा समय से जमा नही हो पाया है ।
जिसको जमा करने की आखिरी तारीख 31 मई थी परन्तु वो आज तक नही जमा हुआ जिसकी वजह से छोटे से ले कर बडे कर्मचारियो को इन्कम टैक्स मे अब पेनाल्टी भरनी पडेगी ।
दूसरी बात जब हर महीने ERP के माध्यम से इन्कम टैक्स काट लिया जाता है तो फिर हर तिमाही मे कैसे जमा हो रहा है इस बडी रकम पर हर महीने जो अधिकारियो और कर्मचारियो के वेतन से कटने वाली इस बडी रकम को आखिर कहाँ जमा किया जाता है और उस रकम पर मिलने वाला ब्याज किसके खाते मे जाता है क्या यह एक सुनियोजित लूट का खेल तो नही और क्या इस लूट पर अभी तक किसी का ध्यान क्यो नही आकर्षित हुआ और जो इन्कम टैक्स की पेनाल्टी है उसका भुगतान क्या कर्मचारी करेगे या विभाग करेगा ।
31 मई तक वो इतनी बडी रकम कहाँ जमा है और उस पर मिलने वाला ब्याज की धनराशी कहाँ गयी अगर घनराशी इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट मे जमा हो चुकी है तो फिर यह इन्कम टैक्स के पोर्टल पर क्यो नही दिखाई दे रही है यह धनराशी हर हालत मे 31 मई तक जमा हो जानी चाहिए थी परन्तु इस धनराशी का अपडेट 6 जून तक इन्कम टैक्स के पोर्टल पर नही हुआ । पाठको को इस खबर को इस तरीके से समझना होगा कि अगर आप बैक मे किसी भी सरकारी खजाने मे कोई धनराशी जमा करते है तो बैक उसी समय या कुछ देर पश्चात उस रकम को आपके नाम से उक्त विभाग मे जमा कर देता है और प्रमाण के तौर पर रसीद आपको मिल जाती है *अब यह ERP साफ्टवेयर भारत सरकार ने तो उपलब्ध नही कराया है यह तो सस्थान ने एक निजी सस्थान का बनाया हुआ एक साफ्टवेयर है और इसे एक निजी साफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनी ने बना कर पावर कार्पोरेशन को दिया है तो इस साफ्टवेयर के जरिए जो भी लेनदेन हो रहा है उसका प्रमाण कोई वैध प्रमाण है जिसे न्यायालय मानने को बाध्य हो ।
वर्ना तो यह रकम तो या तो पावर कार्पोरेशन व सहयोगी कम्पनियो को भरना पडेगा क्योकि कर्मचारी तो हर महीने अपने वेतन मे से यह धनराशी कटा ली जाती है और चालान के माध्यम से उक्त विभाग मे जमा हो जाती है तो फिर हर महीने क्यो नही एक रसीद कर्मचारियो और अधिकारियो के मोबाइल पर आ जाती है । दाल मे कुछ तो काला है जब इस सम्बंध मे निदेशक वित्त मध्यांचल से उनका पक्ष पूछा तो उन्होने स्वीकार किया कि यह चूक हुई है और जब संवाददता ने यह पूछा कि इस चूक की जिम्मेदारी किसके ऊपर होगी तो उन्होने इस सम्बंध मे अधिक जानकारी के लिए महाप्रबंधक वित्त मध्यांचल से बात करने को कहा । उनसे बात करने पर पता चला कि मध्यांचल डिस्कॉम ने इसके लिए एक अलग से सलाहकार फर्म नियुक्त कर रखी है जो सारा लेखा जोखा रखती है जिसको भुगतान भी किया जाता है यानि एक के बाद एक और ढोल मे पोल यानि कि मध्यांचल डिस्कॉम मे अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू की नाक के नीचे इतना बडा खेल हो रहा और उनको तो कुछ पता ही नही है वैसे भी उनको पत्रकारो से फोन पर भी बात करने की फुर्सत नही है अगर यह कहा जाऐ कि इस लूट के खेल मे ऊपर से लेकर नीचे तक सभी शामिल है तो कोई गलत नही होगा ।