लखनऊ डेस्क: कुमारस्वामी ने अमित शाह के नेतृत्व वाले पैनल का उद्देश्य अपनी ‘एक राष्ट्र, एक धर्म और एक भाषा’ नीति के साथ संघीय व्यवस्था को नष्ट करना है। कुमारस्वामी “हिंदी थोपने” के प्रयासों के खिलाफ मुखर रहे हैं।जेडीएस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने संसदीय राजभाषा समिति की 11वीं रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि पैनल हिंदी थोपने और देश को ‘हिंदुस्तान’ में बदलने की साजिश रची जा रही है। कुमारस्वामी ने ट्वीट करते हुए कहा कि कई सिफारिशें भारत के संघीय ढांचे को चीरती और नष्ट करती दिखाई दे रही हैं। अमित शाह के नेतृत्व वाले पैनल का उद्देश्य अपनी ‘एक राष्ट्र, एक धर्म और एक भाषा’ नीति के साथ संघीय व्यवस्था को नष्ट करना है। कुमारस्वामी “हिंदी थोपने” के प्रयासों के खिलाफ मुखर रहे हैं और हाल ही में केंद्र सरकार को केवल अंग्रेजी और हिंदी में कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा आयोजित करने के खिलाफ बयान भी दिया है।कन्नड़ में कई ट्वीट्स करते हुए कुमारस्वामी ने लिखा कि केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गई भाषा की नीतियां विभाजनकारी थीं और विभिन्न राज्यों के बीच मतभेद पैदा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।रिपोर्ट की सिफारिशों को किसी भी कीमत पर लागू करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सभी राज्यों, खासकर दक्षिणी राज्यों को इसका विरोध करने के लिए एकजुट होना चाहिए।’ कुमारस्वामी ने एक ट्वीट में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर (भाजपा) हिंदी थोपने की राजनीति करती है, तो भारत को भाषा संकट के परिणाम भुगतने होंगे। कुमारस्वामी ने कहा कि भारत का मतलब सिर्फ हिंदू (और) हिंदी नहीं है। यह हम सभी का है। गौरतलब है कि कुमारस्वामी ने इससे पहले हिंदी दिवस को लेकर भी तीखे तेवर दिखाते हुए कहा था कि 14 सितंबर को जब केंद्र सरकार राज्य सरकार द्वारा हिंदी दिवस मनाने के लिए मजबूर करेगी, तो ये कन्नड़भाषी लोगों के साथ अन्याय होगा। कुमारस्वामी ने जोर देकर कहा था कि हमारे राज्य के लोगों द्वारा भुगतान किए गए कर के पैसे का उपयोग कर्नाटक सरकार द्वारा हिंदी दिवस मनाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।