मेरठ के सौरभ राजपूत हत्याकांड जैसी औरैया में हुई वारदात की पटकथा मैनपुरी में लिखी गई थी। दिलीप कुमार यादव मूलरूप से भोगांव के नगला दीपा का रहने वाला था। 5 मार्च को शादी के बाद दुल्हन प्रगति को वह परिजनों सहित विदा कराकर नगला दीपा ही लाया था। यहीं मुंह दिखाई की रस्म हुई थी। इसके बाद 10 मार्च की शाम प्रगति को उसके भाई रस्म के तहत मायके ले गए थे।
औरैया की कातिल दुल्हन प्रगति
प्रगति 10 मार्च तक रही थी गांव में
12 मार्च को प्रगति दिबियापुर, औरैया स्थित दिलीप के ऑफिस में उससे मिलने आई थी। दो घंटे तक दोनों एक साथ रहे थे। बीती 19 मार्च को भोगांव थाना क्षेत्र के नगला दीपा के निवासी कारोबारी दिलीप कुमार यादव (24) पर कन्नौज के उमर्दा में शूटरों ने हमला किया था। शूटरों ने उसके साथ मारपीट की। इसके बाद सिर के पिछले हिस्से में गोली मार दी थी।
औरैया की कातिल दुल्हन प्रगति
दो लाख रुपये में तय हुआ था मामला
21 मार्च को इलाज के दौरान दिलीप की मौत हो गई। औरैया पुलिस ने खुलासा किया है कि दिलीप की हत्या उसकी ही पत्नी प्रगति ने ही कराई थी। उसने अपने प्रेमी फफूंद निवासी अनुराग यादव और अछल्दा निवासी शूटर रामजी नागर के जरिये करा दी। दो लाख रुपये में मामला तय हुआ था। प्रगति ने मुंह दिखाई में मिले एक लाख रुपये बतौर एडवांस हत्या के लिए दिए।
औरैया की कातिल दुल्हन प्रगति
दिलीप की जिद के आगे झुका परिवार
मृतक दिलीप के भाई अक्षय यादव ने बताया कि वह चार भाई और एक बहन हैं। सबसे बड़े भाई संदीप यादव हैं, उनकी शादी पारुल के साथ 2019 में हुई थी। भाभी पारुल की छोटी बहन प्रगति और दिलीप के बीच तीन साल पहले बातचीत शुरू हुई थी। पिछले एक साल से दिलीप परिजनों से जिद कर रहा था कि उसकी शादी प्रगति के साथ ही कराई जाए। परिजन भी दिलीप की जिद के आगे झुक गए। दिलीप ने शादी में प्रगति के लिए आठ लाख से साड़ी और गहनों की खरीदारी की थी।
छोटी बहन प्रगति की करतूत पर बड़ी बहन पारूल गुमसुम
प्रगति ने अपने पति की हत्या करवा दी। इसे लेकर उसकी बड़ी बहन पारूल गुमसुम हो गई है। उसकी इस करतूत से सुमेर सिंह यादव के हंसते-खेलते परिवार में मातम पसरा दिया। बड़ी बहन की आंखों में दुख का सैलाब इस कदर उमड़ रहा था, मानो वह कह रही हो कि छोटी ने करतूत की है, उसकी सजा उसे कानून देगा। मेरे दामन में उसका कलंक न लगाए जाए।
गोली लगने की सूचना पर आई थी सैफई, ग्वालियर तक रही साथ
मृतक के भाई अक्षय यादव ने बताया कि भाई पर हमला होने की सूचना के बाद परिजन और पुलिस उसे सैफई मेडिकल कॉलेज लेकर आए थे। यहां कुछ देर बाद ही प्रगति भी आ गई थी। सैफई मेडिकल कॉलेज से जब बाई को ग्वालियर ले गए, तो वह वहां भी साथ गई थी। इसके बाद परिजनों ने उसे वापस भेज दिया था। नहीं पता था कि वह इस कदर शातिर है कि साथ रहने का नाटक करते अपनी करतूत को छिपाने का खेल खेल रही है।