शुक्रवार को मजिस्ट्रेट के आदेश पर जिस जगह मृत बंदरों को दफनाया गया था, उस स्थान की खोदाई कराई गई। एसडीएम की मौजदूगी में वहां से पांच बंदरों के शवों को निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया और उसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई।
एफसीआई अधिकारियों ने गोदाम में 145 बंदरों के मरने की घटना को ही नहीं छिपाया, बल्कि सुबूत मिटाने की भी पूरी कोशिश की थी। बंदरों को दबाने के साथ ही कई बोरा नमक डाल दिया था, जिससे उनके शरीर जल्द सड़-गल जाएं। ऐसा हुआ भी, शुक्रवार को जब पोस्टमार्टम के लिए बंदरों के पांच शव निकाले गए तो उनमें से दो पूरी तरह सड़-गल चुके थे, कीड़े तक गड्ढे में नहीं मिले। दो के ही लीवर, फेफड़े और आंत के कुछ हिस्से बचे थे, जिनके नमूने लेकर जांच के लिए आगरा भेजे गए।
शुक्रवार को मजिस्ट्रेट के आदेश पर जिस जगह मृत बंदरों को दफनाया गया था, उस स्थान की खोदाई कराई गई। एसडीएम की मौजदूगी में वहां से पांच बंदरों के शवों को निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया और उसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई। मौत की वजह जानने के लिए तीन बंदरों के शरीर के अंगों लीवर, फेफड़े और आंतों के नमूने सहित छह विसरा आगरा की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं। एक सप्ताह में इनकी रिपोर्ट प्राप्त हो सकती है। पोस्टमार्टम करने वाली संयुक्त टीम में उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ. सुधीर कुमार, पशुचिकित्साधिकारी टुकसान डॉ. सतीश यादव और पशु चिकित्साधिकारी डॉ. गोपाल सिंह शामिल थे।