Thursday, April 24, 2025

145 बंदरों की मौत में नया खुलासा: सबूत मिटाने के लिए शवों पर डलवा दिए कई बोरे नमक, कितने मरे;

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शुक्रवार को मजिस्ट्रेट के आदेश पर जिस जगह मृत बंदरों को दफनाया गया था, उस स्थान की खोदाई कराई गई। एसडीएम की मौजदूगी में वहां से पांच बंदरों के शवों को निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया और उसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई।

 

एफसीआई अधिकारियों ने गोदाम में 145 बंदरों के मरने की घटना को ही नहीं छिपाया, बल्कि सुबूत मिटाने की भी पूरी कोशिश की थी। बंदरों को दबाने के साथ ही कई बोरा नमक डाल दिया था, जिससे उनके शरीर जल्द सड़-गल जाएं। ऐसा हुआ भी, शुक्रवार को जब पोस्टमार्टम के लिए बंदरों के पांच शव निकाले गए तो उनमें से दो पूरी तरह सड़-गल चुके थे, कीड़े तक गड्ढे में नहीं मिले। दो के ही लीवर, फेफड़े और आंत के कुछ हिस्से बचे थे, जिनके नमूने लेकर जांच के लिए आगरा भेजे गए।

शुक्रवार को मजिस्ट्रेट के आदेश पर जिस जगह मृत बंदरों को दफनाया गया था, उस स्थान की खोदाई कराई गई। एसडीएम की मौजदूगी में वहां से पांच बंदरों के शवों को निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया और उसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई। मौत की वजह जानने के लिए तीन बंदरों के शरीर के अंगों लीवर, फेफड़े और आंतों के नमूने सहित छह विसरा आगरा की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं। एक सप्ताह में इनकी रिपोर्ट प्राप्त हो सकती है। पोस्टमार्टम करने वाली संयुक्त टीम में उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ. सुधीर कुमार, पशुचिकित्साधिकारी टुकसान डॉ. सतीश यादव और पशु चिकित्साधिकारी डॉ. गोपाल सिंह शामिल थे।

पशुचिकित्साधिकारी डॉ. सतीश यादव ने बताया कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि बंदरों को दफनाने के दौरान नमक का प्रयोग किया गया था। इसके चलते बंदरों के शरीर के अंग जल्द नष्ट हो गए। नमक की वजह से अंदर कीड़े भी नहीं मिले। बता दें, 11 नवंबर को एफसीआई के गोदाम में 145 बंदर मृत मिले थे, जिन्हें गड्ढा खोदवाकर गोदाम परिसर में ही दबा दिया गया था। गेहूं को घुन और कीड़ों से बचाने के लिए रखे गए कीटनाशक (सल्फास) से इनकी मौत होने की बात कही जा रही है। विहिप और बजरंग दल कार्यकर्ताओं के हंगामे बाद घटना का खुलासा हुआ था।

छह फुट की गहराई से निकाले पांच बंदरों के शव, कितने मरे, सवाल अभी भी बरकरार

विहिप और बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने करीब 145 बंदरों की मौत होने का आरोप लगाया था। करीब 15 फुट गहरे गड्ढे में बंदर दबाए गए थे। पोस्टमार्टम कराने के लिए गड्ढे में छह फुट की गहराई से पांच बंदरों के शवों को निकलवाया। कितने बंदर गड्ढे में दबाए गए, यह सवाल अभी भी बरकरार है।

पोस्टमार्टम के लिए बंदरों के शवों को निकालने के लिए प्रशासन ने पांच फुट चौड़ा और लंबा, छह फुट गहरा गड्ढा खोदवाया था, जबकि बंदरों को जिस गड्ढे में दबाया गया, उसकी लंबाई व चौड़ाई 18 से 20 फुट और गहराई करीब 15 फुट बताई जा रही है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि वहां करीब 125-150 बंदर दफनाए गए। खोदाई के दौरान मजदूरों को उल्टी भी हो गई। आसपास क्षेत्र के रहने वाले लोगों का दुर्गंध से बुरा हाल हो गया।

एफसीआई ने शुरू की विभागीय जांच

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अलीगढ़ मंडल की दो सदस्यीय टीम ने कलवारी रोड स्थित गोदाम में हुई 145 बंदरों की मौत की जांच शुरू कर दी है। शुक्रवार को गोदाम प्रभारी और गुणवत्ता प्रबंधक सहित 10 कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए।

एफसीआई के मंडल कार्यालय में तैनात प्रबंधक तेजमल कोली और जितेंद्र चौहान शुक्रवार को गोदाम पर पहुंचे और घटना के संबंध में जानकारी की। उन्होंने प्रबंधक नीरज शर्मा, गुणवत्ता प्रबंधक बाबूलाल मीणा सहित कुल दस अधिकारियों व कर्मचारियों से दो घंटे तक पूछताछ की। नीरज शर्मा उस समय अवकाश पर थे और बाबूलाल मीणा पर गोदाम प्रभारी का चार्ज था। टीम ने वह स्थान भी देखा, जहां मृत बंदरों को दबाया गया था। 

मृत बंदरों को गायब करने के हल्ले पर दौड़े बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ता

एसडीएम की मौजूदगी में शुक्रवार को जब गड्ढा खोदवाया जा रहा था, तभी हल्ला मच गया कि मृत बंदरों को गायब किया जा रहा है। इसकी सूचना पर बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ता भी वहां पहुंच गए। पुलिस ने उन्हें गोदाम में जाने से रोक दिया। एसडीएम और सीओ से उनकी नोकझोंक भी हुई।

विहिप के जिला कोषाध्यक्ष मदन गोपाल वार्ष्णेय ने बताया कि उन्हें यह सूचना मिली थी कि बंदरों को मिट़्टी से निकालकर कहीं अन्यत्र स्थान पर फेंका जा रहा है। गोदाम में अंदर घुसने के दौरान काफी नोकझोंक हुई है। इसके बाद कुछ कार्यकर्ता आसपास स्थित मकानों की छतों पर चढ़ गए और कार्रवाई देखने लगे। मामले को तूल पकड़ता देख एसडीएम विहिप नेताओं को गोदाम के अंदर ले गए। एसडीएम सदर नीरज शर्मा ने बताया कि सभी को मौके पर स्थिति का अवलोकन करा दिया गया है। खोदाई से पूर्व की स्थिति दिखा दी गई है।

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