लखनऊ डेस्क:साल 2013 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का आगाज़ इस उम्मीद के साथ हुआ था कि ये पाकिस्तान की तस्वीर को पूरी तरह बदल देगा और उसकी गिनती दक्षिण एशिया की बड़ी ताकतों के रूप में होगी.दशक भर का वक्त गुज़र जाने के बाद अब इसी परियोजना की वजह से सदाबहार दोस्त माने जाने वाले चीन और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव के कयास लगाए जा रहे हैं.दरअसल, पाकिस्तान की मीडिया में ये रिपोर्ट आई है कि चीन ने सीपीईसी परियोजना के तहत ऊर्जा, जल प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों में पाकिस्तान के प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया है.सीपीईसी परियोजना की जॉइंट कोऑपरेशन कमेटी (जेसीसी) की बैठक के बाद दोनों देशों की ओर से जिस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए गए, उसको आधार बनाते हुए ये रिपोर्ट छापी गई थी.इसके अनुसार, चीन ने पाकिस्तान की ओर से गिलगित-बाल्टिस्तान, ख़ैबर पख़्तूनख्वाह, पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और तटीय इलाकों को लेकर दिए गए कई प्रस्तावों पर मंज़ूरी नहीं दी. इसके उलट पाकिस्तान ने चीन को सीपीईसी के कार्यों में कई बड़ी रियायतों पर हामी भरी है.