डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय(एकेटीयू) के 120 करोड़ रुपये पार करने के मामले में साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने बड़े नटवरलाल अनुराग श्रीवास्तव को अयोध्या से गिरफ्तार कर लिया है। कोर्ट में पेश करने के बाद उसे जेल भेजा गया। पूछताछ में कई बड़े खुलासे किए हैं। जिसके आधार पर पुलिस आगे की तफ्तीश कर रही है। ठगी में अब तक आठ आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। पुलिस अनुराग को कस्टडी रिमांड पर भी लेगी।साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि ठगी को अंजाम देने के बाद से अनुराग मोबाइल बंद कर अंडरग्राउंड हो गया था। सर्विलांस की मदद से उसको ट्रेस कर अयोध्या के कांधारी बाजार इलाके से गिरफ्तार किया गया। वह मूलरूप से बस्ती के हरैया इलाके का रहने वाला है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि जेल भेजे गए आरोपियों की मदद से फर्जी दस्तावेज बनाकर फेक खाता खुलवाया था। उसके बाद बैंक मैनेजर अनुज कुमार सक्सेना के नाम से एक विजिटिंग कार्ड बनवाया था। जिसमें अपना मोबाइल नंबर व बैंक के नाम से खुद बनाई गई ई-मेल को उसमें था। उसी की मदद से वह विवि के अफसरों से मिला। विवि के अफसरों और बैंक के कर्मचारियों को जाल में फंसाकर ठगी को अंजाम दिया था।
अनुराग को मिले थे 15 लाख, इस तरह पकड़ा गया
पुलिस की तफ्तीश में सामने आया कि शिवांश ने ही अनुराग को जेल में बंद फिल्म प्रोड्यूसर राजेश बाबू से मिलवाया था। तब साजिश को अंजाम दिया गया। अनुराग को ठगी में कुल 15 लाख रुपये मिले थे। कुछ दिन वह उत्तराखंड में रहा। फिर दिल्ली और आखिर में वह आयोध्या में आकर रहने लगा था। इंस्पेक्टर ने बताया कि परिजनों से वह व्हाट्सएप कॉल के जरिये संपर्क में था। आईपी एड्रेस कर उसको पकड़ा गया।
ये है पूरा मामला, सात आरोपी हुए थे गिरफ्तार
एकेटीयू की तरफ से बड़ी एफडी कराई जाती हैं। जून महीने में एफडी प्रक्रिया होनी थी। जिसमें यूनियन बैंक का मैनेजर बन अनुराग श्रीवास्तव ने विवि की एफडी प्रक्रिया में शामिल हुआ। अनुराग ही विवि का फाइनेंस ऑफिसर बनकर बैंक से एफडी संबंधी दस्तावेज तैयार किये थे और एकेटीयू के नाम से एक फर्जी खाता खुलवाया था। पांच जून को एफडी की 120 करोड़ की रुपये की रकम बैंक के खाते में आई थी। वहां से फाइनेंस ऑफिसर बनकर अनुराग ने एकेटीयू के फेक खाते में ये रकम ट्रांसफर करवा ली थी। इसमें से 100 करोड़ रुपये गुजरात की श्री श्रद्धा ट्रस्ट में ट्रांसफर की थी। मामले में 18 जून को साइबर क्राइम थाने की टीम ने गिरीश चंद्रा, शैलेश रघुवंशी, जोशी देवेंद्र प्रसाद, केके त्रिपाठी, दस्तगीर आलम, उदय पटेल और राजेश बाबू को गिरफ्तार किया था। तब अनुराग का नाम सामने आया था। तब से उसकी तलाश थी।