कानपुर में महाराजपुर के एक गांव में कक्षा आठ की छात्रा के चेहरे और शरीर पर भारी चीज से ताबड़तोड़ वार किए। इसके बाद गला दबाकर हत्या कर दी। गुरुवार देर रात पोस्टमार्टम में छात्रा के शरीर पर 40 से ज्यादा चोटों के निशान पाए गए हैं। गला दबाने से मौत की पुष्टि हुई है।
जूनियर हाई स्कूल में पढ़ती थी छात्रा
महाराजपुर क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले किसान की 11 साल की बेटी गांव के ही जूनियर हाई स्कूल में कक्षा आठ में पढ़ती थी। 27 जनवरी को वह बकरी की तलाश में खेत की तरफ से गई थी। इसके बाद से उसका कुछ अता-पता नहीं था। परिजनों ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी।

शरीर पर चोटों के कई निशान मिले हैं। गला दबाए जाने से मौत की पुष्टि हुई है। प्राइवेट पार्ट में चोट नहीं मिली है। स्लाइड की जांच रिपोर्ट आने पर ही दुष्कर्म की पुष्टि हो सकेगी। हत्यारोपी कोई बहुत करीबी और आसपास का ही हो सकता है। वारदात में शामिल लोगों ने पहचाने जाने के डर से छात्रा की हत्या की है। हत्यारोपियों की तलाश में पुलिस की चार टीमें लगी हैं। जल्द ही वारदात का खुलासा किया जाएगा। -मनोज कुमार पांडेय, एडीसीपी पूर्वी

भीम आर्मी और बसपा के बीच नारेबाजी
परिजन शुक्रवार को बेटी का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे। परिजनों ने गांव में मौजूद पुलिस अफसरों से कहा कि छात्रा के चाचा भोपाल में रहते हैं, उन्हें घटना की जानकारी दी गई है। वह शुक्रवार देर रात तक गांव आएंगे। इसलिए शनिवार को बेटी का अंतिम संस्कार करेंगे।
परिजन शुक्रवार को बेटी का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे। परिजनों ने गांव में मौजूद पुलिस अफसरों से कहा कि छात्रा के चाचा भोपाल में रहते हैं, उन्हें घटना की जानकारी दी गई है। वह शुक्रवार देर रात तक गांव आएंगे। इसलिए शनिवार को बेटी का अंतिम संस्कार करेंगे।

हंगामे के मंसूबे सफल नहीं हो सके
अफसर परिजनों के इरादों को भांप गए और उन्हें समझा-बुझाकर छात्रा का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार कर लिया। छात्रा का शव उठने के दौरान भीम आर्मी और बीएसपी के लोग गांव पहुंच गए। घटना के खुलासे और हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हो-हल्ला किया। परिवार वालों की समझदारी और पुलिस की सक्रियता देख हंगामे के मंसूबे सफल नहीं हो सके।
अफसर परिजनों के इरादों को भांप गए और उन्हें समझा-बुझाकर छात्रा का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार कर लिया। छात्रा का शव उठने के दौरान भीम आर्मी और बीएसपी के लोग गांव पहुंच गए। घटना के खुलासे और हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हो-हल्ला किया। परिवार वालों की समझदारी और पुलिस की सक्रियता देख हंगामे के मंसूबे सफल नहीं हो सके।