बना रहे बनारस,हर जगह बजेगा तबला,भरवा मचाएगा धमाल,जानें बनारस को क्या मिला खास गिफ्ट
वाराणसी।उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और शिल्प विश्वविख्यात है।इस विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल रही है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बनारस दौरे के दौरान यूपी के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक टैग का प्रमाण पत्र प्रदान किया। इससे न सिर्फ यूपी की विविधताओं को एक नई उड़ान मिली,बल्कि योगी सरकार की एक जिला, एक उत्पाद नीति की सफलता को भी रेखांकित किया। बनारस का तबला और भरवा मिर्च जैसे खास व्यंजन और कारीगरी अब वैश्विक मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान के साथ धमाल मचाएंगे। बता दें कि 77 जीआई उत्पादों के साथ यूपी देश में पहले स्थान पर है।इसमें भी अकेले 32 जीआई के साथ बनारस विश्व का जीआई हब है।
बता दें कि बनारस के दो विशिष्ट पहचान बनारसी तबला और भरवा मिर्च अब जीआई टैग प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त उत्पाद बन गया है। संगीत प्रेमियों के लिए बनारस का तबला वर्षों से एक खास स्थान रखता है।बनारस का भरवा मिर्च अपने अनूठे स्वाद और पारंपरिक विधि के कारण हमेशा चर्चा में रहती है।
*यूपी की पारंपरिक कारीगरी को अंतर्राष्ट्रीय मंच*
बनारस का अन्य उत्पाद शहनाई,मेटल कास्टिंग क्राफ्ट,म्यूरल पेंटिंग,लाल पेड़ा,ठंडई,तिरंगी बर्फी और चिरईगांव का करौंदा को भी जीआई टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।ये सभी न केवल सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि इनसे जुड़े हजारों कारीगरों को अब वैश्विक बाजार में अपने हुनर को दिखाने का अवसर मिलेगा।पद्मश्री से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत के अनुसार बनारस विश्व का जीआई हब है। 32 जीआई टैग के साथ लगभग 20 लाख लोगों के जुड़ाव और 25,500 करोड़ का वार्षिक कारोबार अकेले बनारस से है।
*बरेली,मथुरा और बुंदेलखंड को भी मिला सम्मान*
इस जीआई सूची में झुमका गिरने वाले बरेली का फर्नीचर, जरी जरदोजी और टेराकोटा, धर्म नगरी मथुरा की सांझी क्राफ्ट,वीरों की बुंदेलखंड का काठिया गेहूं और पीलीभीत की बांसुरी भी शामिल है।ये सभी उत्पाद अपने-अपने क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान हैं और अब जीआई टैग प्रमाण पत्र मिल जानें से इन्हें कानूनी संरक्षण और ब्रांड वैल्यू दोनों मिलेंगे।
*चित्रकूट,आगरा और जौनपुर की कला को नई उड़ान*
चित्रकूट का वुड क्राफ्ट,आगरा का स्टोन इनले वर्क और जौनपुर की इमरती को भी जीआई टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।इससे साफ है कि यूपी के हर क्षेत्र में छिपे पारंपरिक शिल्प और स्वाद को अब वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
*जीआई टैग से कारीगरों और किसानों को मिलेगा लाभ*
जीआई टैग न केवल उत्पाद की मौलिकता को दर्शाता है, बल्कि इसके जरिए किसानों और कारीगरों को बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं, इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होते हैं।योगी सरकार के सतत प्रयासों और ओडीओपी नीति के चलते यूपी जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या में लगातार शीर्ष पर बना हुआ है।