लखनऊ। मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले फूल आम तौर पर अर्पित होने के बाद नदियों या तालाबों में विसर्जित कर दिए जाते हैं। इससे जल प्रदूषण के साथ-साथ पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है। लेकिन राजधानी स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पाैध संस्थान के प्रयासों से मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले यह फूल अब लोगों के रोजगार का जरिया बनेंगे।
सीमैप के वैज्ञानिकों की ओर से विकसित तकनीक की मदद से अब वाराणसी के मंदिरों और प्रमुख धार्मिक स्थलों पर चढ़ाए गए फूलों से अगरबत्ती, धूपबत्ती व हवन कप बनाई जाएगी। साथ ही इन्हें मंदिरों में आए हुये भक्तों को व आस-पास की दुकानों में इनका विक्रय किया जाएगा। इससे बड़ी संख्या में लोगों के जीवन में रोजगार और खुशहाली आएगी।
बृहस्पतिवार को इसके लिए सीमैप की तकनीक का हस्तांतरण वाराणसी के मेसर्स डिवाइन कीर्ति प्राइवेट लिमिटेड के साथ किया गया। सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने फूलों से निर्मित अगरबत्ती का समझौता ज्ञापन कंपनी के निदेशकों सोनल गुप्ता, रोहित कुमार गुप्ता को सौंपा। इस तकनीकी को स्वच्छ भारत अभियान, कौशल विकास व सामाजिक आजीविका अभियान से सीमैप लखनऊ के साथ मिल कर संचालित करेगा। इस माैके पर सीमैप के व्यापार विकास विभाग के प्रमुख डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव, डॉ. संजय कुमार,मनोज कुमार यादव आदि माैजूद रहे।


