निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश का करीबी निकांत जैन जमानत पर रिहा हो चुका है। आरोपी पर कुल चार एफआईआर दर्ज थी। इनमें से एक केस में पहले जमानत मिल गई थी। वजीरगंज में दो और हजरतगंज थाने में एक एफआईआर और दर्ज थी। अब तीनों मामलों में ही इंवेस्ट यूपी के बिचौलिये निकांत को जमानत मिल चुकी है।
सोलर कंपनी का प्रोजेक्ट मंजूर करने के लिए कमीशन मांगने वाले इंवेस्ट यूपी के निलंबित सीईओ अभिषेक प्रकाश का करीबी निकांत जैन जमानत पर रिहा हो गया है। आरोपी के खिलाफ कुल चार एफआईआर दर्ज थी। इसमें गोमतीनगर थाने में आईएएस अधिकारी के लिए रिश्वत लेने और भ्रष्टाचार की एफआईआर के मामले में उसे पहले ही जमानत मिल गई थी।आरोपी के खिलाफ वजीरगंज थाने में दो और हजरतगंज थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई थी। इन तीनों मामलों में भी आरोपी को जमानत मिल गई है। निकांत जमानत पर रिहा हो चुका है। बृहस्पतिवार को निकांत और उसके करीबियों के ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा। खास बात ये है कि शुरू से ही इस प्रकरण में पुलिस की लापरवाही देखने को मिली।
अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है
भ्रष्टाचार के मामले में निकांत जब जेल में बंद था तब समय से उसकी कस्टडी रिमांड की अर्जी नहीं दी गई। देर से अर्जी देने के कारण भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश सत्येंद्र सिंह ने तब कस्टडी रिमांड देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि निकांत जैन को जिन आरोपों में गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है, उसमें उसे अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है।
जिन मामलों में दस साल तक की सजा का प्रावधान है, उनमें अगर आरोपी जेल में है तो पुलिस को अधिकतम 60 दिनों में चार्जशीट दायर करनी होती है। ऐसे मामले में पुलिस को 40 दिन के भीतर पुलिस कस्टडी रिमांड के लिए कोर्ट में आवेदन कर देना चाहिए, लेकिन इस मामले के विवेचक एसीपी विनय कुमार द्विवेदी ने आरोपी की गिरफ्तारी के लगभग 44 दिन के बाद पुलिस कस्टडी रिमांड पर दिए जाने की अर्जी दी। इसकी वजह से अर्जी खारिज कर दी गई।
23 मार्च से जेल में बंद था आरोपी
एसटीएफ ने निकांत को गिरफ्तार किया था। आरोपी के खिलाफ गोमतीनगर थाने में केस दर्ज कर 23 मार्च को जेल भेज दिया गया। इस मामले में 31 मई को आरोपी को जमानत मिल गई। इस बीच वजीरगंज में एफआईआर हुई और 27 मई को जेल में वारंट भेजा गया।
आरोपी की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई। 22 जुलाई को एसीजीएम कोर्ट ने जमानत मंजूर कर ली। इसके बाद पुलिस की ओर से नौ जून को हजरतगंज में दर्ज एफआईआर का वारंट नौ जून को जेल में भेजा गया। इस मामले में भी आरोपी को सीजेएम 4 की कोर्ट ने 24 जुलाई को जमानत दे दी। इसके बाद आरोपी जेल से छूट गया।
यह है मामला
सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने की इकाई लगाने के लिए आईएएस के नाम पर निकांत ने कंपनी संचालक विश्वजीत दत्ता से एक करोड़ रुपये रिश्वत ली थी। इस मामले में विश्वजीत की तहरीर पर गोमतीनगर थाने में निकांत के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। प्रकरण की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। एसआईटी की ओर से करीब 1600 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी।


