लखनऊ : 15 जनवरी 2023 को अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यह स्पष्ट कर दिया था कि आगामी चुनाव में वह किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करने वाली उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश के साथ ही देश के जिन राज्यों में बसपा का जनाधार है वहां अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी प्रमुख के निर्देश के बाद अब संगठन के पदाधिकारी चुनाव के तैयारियों में लग गए है। बसपा इस बार मुस्लिम वोटरों के साथ ही बड़े स्तर पर युवाओं पर दांव लगाना चाहती है। इसके लिए पार्टी युवाओं को अपने पाले में लाने के लिए रणनीति बना रही है। बसपा का जोर सबसे ज्यादा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहेगा।
साल दर साल घटता गया जनाधार व सीटें:राज्य में 4 बार सरकार बनाने वाली BSP पिछले 11 साल से राज्य के सत्ता से बाहर होने के साथ ही धीरे-धीरे अपना जनाधार खोती जा रही है। 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 206 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली BSP 2012 में 80 सीटों पर सिमट गई। सबसे ज्यादा नुकसान पार्टी का 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ था। जब मोदी लहर में पार्टी 80 में से 80 लोकसभा सीट हार गई। उस चुनाव में बसपा का खाता तक नहीं खुला था। जिसके बाद 2017 में राज्य की सत्ता में वापस आने कि उम्मीद लगाई BSP को जोरदार झटका तब लगा जब पार्टी 403 विधायकों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में महज 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। इसके बाद पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने चिर प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ा और उसमें भी पार्टी को BJP से मुंह की खानी पड़ी और गठबंधन के बावजूद BSP सिर्फ 10 लोकसभा की सीटों पर जीत दर्ज कर पाई। जिसके बाद पार्टी ने सपा से अपना गठबंधन तोड़ते हुए 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा और पार्टी इतिहास की सबसे बड़ी हार को झेला। इस चुनाव में पार्टी 403 विधानसभा सीटों पर लड़ी और सिर्फ 1 सीट पर जीत दर्ज कर पाई।