Friday, November 22, 2024

लोकसभा 2024 में युवाओं को अपने पाले में लाने के लिए रणनीति बना रही BSP, पार्टी में देगी अहम जिम्मेदारी

यह भी पढ़े

लखनऊ  : 15 जनवरी 2023 को अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यह स्पष्ट कर दिया था कि आगामी चुनाव में वह किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करने वाली उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश के साथ ही देश के जिन राज्यों में बसपा का जनाधार है वहां अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी प्रमुख के निर्देश के बाद अब संगठन के पदाधिकारी चुनाव के तैयारियों में लग गए है। बसपा इस बार मुस्लिम वोटरों के साथ ही बड़े स्तर पर युवाओं पर दांव लगाना चाहती है। इसके लिए पार्टी युवाओं को अपने पाले में लाने के लिए रणनीति बना रही है। बसपा का जोर सबसे ज्यादा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहेगा।

साल दर साल घटता गया जनाधार व सीटें:राज्य में 4 बार सरकार बनाने वाली BSP पिछले 11 साल से राज्य के सत्ता से बाहर होने के साथ ही धीरे-धीरे अपना जनाधार खोती जा रही है। 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 206 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली BSP 2012 में 80 सीटों पर सिमट गई। सबसे ज्यादा नुकसान पार्टी का 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ था। जब मोदी लहर में पार्टी 80 में से 80 लोकसभा सीट हार गई। उस चुनाव में बसपा का खाता तक नहीं खुला था। जिसके बाद 2017 में राज्य की सत्ता में वापस आने कि उम्मीद लगाई BSP को जोरदार झटका तब लगा जब पार्टी 403 विधायकों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में महज 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। इसके बाद पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने चिर प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ा और उसमें भी पार्टी को BJP से मुंह की खानी पड़ी और गठबंधन के बावजूद BSP सिर्फ 10 लोकसभा की सीटों पर जीत दर्ज कर पाई। जिसके बाद पार्टी ने सपा से अपना गठबंधन तोड़ते हुए 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा और पार्टी इतिहास की सबसे बड़ी हार को झेला। इस चुनाव में पार्टी 403 विधानसभा सीटों पर लड़ी और सिर्फ 1 सीट पर जीत दर्ज कर पाई।

चंद्रशेखर रावण BSP के लिए नई चुनौती
आपको बता दे कि 2017 में योगी सरकार बनने के बाद मई के महीने में सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर गांव में एक जातीय हिंसा हुई। इस घटना के विरोध में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण ने सहारनपुर में एक महापंचायत बुलाई। इस महापंचायत के दौरान हिंसा हुई आगजनी हुई और जांच में पुलिस ने भीम आर्मी को आरोपी बनाया।  चंद्रशेखर आजाद को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। जेल से रिहा होते होते चंद्रशेखर दलित युवाओं के लिए नेता बन चुके थे और 15 मार्च 2020 को नोएडा के सेक्टर 70 में के बसई गांव में संविधान की शपथ लेकर अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी की स्थापना की। बता दे कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और चंद्रशेखर रावण दोनों एक ही दलित जाती ‘जाटव’ समाज से आते है और दलित समाज के युवाओं में इस पार्टी को लेकर काफी झुकाव दिखाई देता है। जिस कारण मायावती कई बार रावण को BJP का एजेंट बता चुकी है। और दलित युवाओं को रावण के पार्टी से दूरी व बसपा से जुड़ने के लिए कहती रहती है।.                                                 युवाओं को अपने पाले में लाने की कर रही तैयारी:2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी युवाओं को बड़े स्तर पर अपने साथ जोड़ने पर काम करेगी। पार्टी सूत्रों  के मुताबिक बसपा इस बार चुनाव में मुस्लिमों के साथ ही युवाओं पर बड़ी संख्या में दाव लगाने जा रही है। इसके लिए निकाय चुनाव से पहले संबंधित क्षेत्र के कोऑर्डिनेटर अपने यहां अभियान चलाकर युवाओं को पार्टी में अहम जिम्मेदारी देंगे। पार्टी इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संभावनाएं तलाश रही है इसलिए वह इस क्षेत्र में पूरे दमखम के साथ उतरेगी।

डेस्क एडिटर : पूजा दुबे 

- Advertisement -
Ads

ट्रेंडिंग न्यूज़

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement

अन्य खबरे