Friday, November 22, 2024

अफगानिस्तान में निवेश करना चाहता है चीन, लेकिन इस बात का सता रहा डर

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लखनऊ डेस्क:चीनी कंपनियों ने अफगानिस्तान में निवेश करने में रुचि दिखाई है। इसके अलावा चीन ने अफगानिस्तान में खदानों के विकास और संचालन में भी रुचि दिखाई है।पिछले कुछ महीनों में चीनी कंपनियों ने बेल्ट एंड रोड पहल के तहत अफगानिस्तान में निवेश करने में रुचि दिखाई है। हालांकि, आतंकवाद और अस्थिरता के कारण इन कंपनियों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और देश में विकास करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। रिपोर्ट के अनुसार इस साल जनवरी में तालिबान ने सालाना 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से देश के उत्तर में तेल निकालने के लिए चीन की कंपनी CAPEIC के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे।
2008 में तांबा निकालने के लिए अनुबंध
इसके अलावा चीन ने अफगानिस्तान में खदानों के विकास और संचालन में भी रुचि दिखाई है। चीनी कंपनी मेटलर्जिकल कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (एमसीसी) ने 2008 में लोगार प्रांत के मेस अयनाक क्षेत्र में तांबा निकालने के लिए तत्कालीन अफगान सरकार के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन वहां अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।

परियोजना लागू करने में आ रही चुनौतियां

पिछले महीने तालिबान के खनन और पेट्रोलियम मंत्री शहाबुद्दीन दिलावर ने एमसीसी से खदान के विकास और संचालन पर काम शुरू करने का आग्रह किया था। विश्लेषकों ने कहा कि तालिबान ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने के समझौते में भले ही कूटनीतिक जीत हासिल की हो , लेकिन परियोजना के कार्यान्वयन में अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ावा
इस साल मई में इस्लामाबाद में तीनों देशों के अधिकारियों की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में  तीनों पक्षों ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए अफगानिस्तान की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के अपने संकल्प की पुष्टि की थी। तीनों देशों ने “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने और सीपीईसी को संयुक्त रूप से अफगानिस्तान तक विस्तारित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

350 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश
अफगानिस्तान की राज्य समाचार एजेंसी बख्तर समाचार के अनुसार पिछले हफ्ते काबुल में तालिबान अधिकारियों के साथ एक बैठक में फैन चाइना अफगान माइनिंग प्रोसेसिंग एंड ट्रेडिंग कंपनी के अधिकारियों ने अफगानिस्तान में निर्माण से लेकर स्वास्थ्य और ऊर्जा तक विभिन्न क्षेत्रों में 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की घोषणा की थी।

2013 में शुरू हुई थी परियोजना
बता दें कि 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)  कनेक्टिविटी परियोजना 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू की गई बेल्ट एंड रोड पहल का एक प्रमुख हिस्सा है। यह पहल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और निवेशों की एक सीरीज है जो चीन को विदेशी व्यापार से जोड़ने के उद्देश्य से दुनिया भर में फैली हुई है।

अमेरिका की आलोचना करता चीन
अगस्त 2021 में अमेरिका और नाटो बलों की वापसी और अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से चीन अफगानिस्तान की संपत्तियों को जब्त करने के लिए अमेरिका की आलोचना करने में मुखर रहा है।

तालिबान के अल-कायदा से संबंध
पिछले महीने प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि तालिबान के अभी भी अल-कायदा और अन्य समूहों के साथ संबंध हैं, जिनमें ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM)  भी शामिल है, जिसे तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी भी कहा जाता है।

ETIM को खतरा मानता है चीन
चीन ईटीआईएम को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। इसकी स्थापना 1997 में उइगर धार्मिक नेता हसन महसुम द्वारा पाकिस्तान में की गई थी। हालाँकि, अमेरिका ने 2020 में ईटीआईएम को अपनी आतंकी सूची से हटा दिया।

अफगान धरती का उपयोग नहीं करेंगे आतंकी
इस बीच अफगानिस्तान के पूर्व परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्री हमीदुल्ला फारूकी ने वॉयस ऑफ अमेरिका को बताया कि तालिबान ने चीन और पाकिस्तान को आश्वस्त करने की कोशिश की कि वह किसी भी आतंकवादी समूह को अफगान धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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