औरैया। पछेती धान की फसल भूरा फुदका कीट की चपेट में आ गई है। बारिश अधिक होने के बाद खेतों में भरे पानी में इस कीट ने हमला किया तो पौधे सूखने लग गए।इस बार निजी संसाधनों का इस्तेमाल कर जिन किसानों ने समय रहते धान की रोपाई कर ली है, उन्हें फसल में कीट का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन पछेती धान में पौधों के बढ़वार के दिनों में ही बारिश ज्यादा होने लगी थी। सितंबर में ही दो-तीन बार झमाझम बारिश से इस कीट का प्रकोप तेजी से बढ़ गया।जैतापुर के किसान राम सिंह ने बताया कि इस रोग के चपेट में जो भी पौधा आता है, वह पहले पीला दिखाई देता है, फिर सूखने लगता है। ऐसे पौधे में दाना नाममात्र के लिए बचता है। भूरा फुदका का आकार सूक्ष्म होता है। असंख्य कीट पौधों को तने से चाट जाते हैं।
बारिश के दौरान हवा चलने से हो चुका नुकसान
पिछले महीने बारिश के दौरान तेज हवा भी चली थी। खेतों में बारिश का पानी भरने से पौधों की जड़ें कमजोर पड़ीं तो पौधे हवा की मार नहीं झेल पाए। जैतापुर, कखावतू, भरसेन, पातेपुर, सुंदरीपुर आदि इलाके के अधिकतर खेतों में धान गिर गया। गिरे पौधों की बालियों में दाना मोटा नहीं हो पाया। पैदावार प्रभावित होने में यह दूसरी वजह बताई जा रही है।भूरा फुदका धान की फसल में लग रहा है, जिससे क्षेत्र में कई किसानों की फसल प्रभावित हुई है। पहले से किसान बारिश की मार झेल चुका है। ऐसे में यह और दिक्कत बढ़ा रहा है। – राजेंद्र सिंह कुशवाहा, मिर्जापुरफसल में कीड़ा लगने की वजह से फसल का उत्पादन कम हो जाता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर धान के तने के ऊपर रहकर रस चूसते रहते हैं। तने का रस चूसकर पौधे को सुखाकर फसल को नष्ट कर देते हैं।
– विग्नेश दिवाकर, जैतापुर
जिले में करीब 55 हजार हेक्टेयर में धान की फसल है। जैसे ही किसानों को इस रोग के बारे में जानकारी हो, वे तुरंत ही दवाईयों का उपयोग करें। हालांकि, दवा का उपयोग किस प्रकार करना है, इसके बारे में विभाग में आकर वैज्ञानिकों से बात जरूर कर लें। – शैलेंद्र कुमार वर्मा, जिला कृषि अधिकारी