वाराणसी– ज्ञानवापी परिसर में सील वुजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति को छोड़ शेष अन्य भाग का एएसआई सर्वे कराने की मांग वाली हिन्दू पक्ष की अर्जी शनिवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने खारिज कर दी।
अदालत ने अपने पांच पेज के आदेश में कहा कि शिवलिंग जैसी आकृति की सुरक्षा को लेकर निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय ने मामूली संशोधनों के साथ बरकरार रखा था। इन परिस्थितियों में एएसआई को उस क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देना उचित नहीं है। न्यायालय ने 21 जुलाई के आदेश के तहत भी उक्त स्थान को सर्वेक्षण से बाहर रखा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत विधिवत संरक्षित क्षेत्र का सर्वेक्षण नहीं किया जाना चाहिए। यह उच्चतम न्यायालय के पारित आदेश का उल्लंघन हो सकता है। उधर, वादी अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने कहा कि जिला व सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ वह हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
जिला जज की अदालत में 29 अगस्त को शृंगार गौरी केस की मुख्य वादी राखी सिंह की तरफ से अधिवक्ता सौरभ तिवारी, मानबहादुर सिंह और अनुपम द्विवेदी ने वुजूखाने के एएसआई सर्वेक्षण की मांग की थी। उनका कहना था कि वुजूखाना, परिसर का महत्वपूर्ण भाग है। इसलिए उसके सर्वेक्षण से परिसर की ऐतिहासिकता और प्राचीनता की वास्तविक जानकारी पता लगाई जा सकती है।
उधर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अधिवक्ता एकलाख, रईस अहमद व तौहीद खान के जरिए पांच अक्तूबर को लिखित आपत्ति दाखिल कर कहा कि 17 मई 2022 को सुप्रीमकोर्ट के आदेश के तहत वुजूखाना संरक्षित व सील है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परे वजूखाने के एएसआई सर्वे के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता। अंजुमन की ओर से यह भी कहा गया था कि प्रार्थना पत्र में एएसआई को पार्टी बनाना गलत है, क्योंकि मूल वाद में एएसआई पार्टी नहीं है। 12 अक्तूबर को वादी की ओर से आपत्ति का जवाब दाखिल किया गया। इसके बाद 19 अक्तूबर को अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।