नई दिल्ली: चुनाव के नजदीक आने पर सोशल मीडिया पर कई तरह के दावे वायरल हो रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक यूजर ने दो प्लेटफॉर्म टिकटों की तस्वीर शेयर की है। जिसमें दावा किया गया कि साल 2014 से पहले प्लेटफॉर्म टिकट 3 रुपये का था जबकि 2014 के बाद प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत 50 रुपये हो गई है। सोशल मीडिया पर यूजर्स के इस दावे को कुछ लोग सच मानकर शेयर भी कर रहे हैं। हालांकि जब विश्वास न्यूज ने इस दावे की पड़ताल शुरू की तो इस दावे का सच कुछ और ही सामने आया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में सामने आया कि कोरोना के वक्त भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत को बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया था लेकिन बाद में फिर से कीमत को घटा कर 10 रुपये कर दिया गया है। हालांकि छठ और दिवाली पर कुछ रेलवे के डिवीजनों में प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत को फिर से बढ़ाया गया था लेकिन त्योहार बीतने पर फिर से वहां भी प्लेटफॉर्म टिकट 10 रुपये कर दिया गया है। ऐसे में सोशल मीडिया पर प्लेटफॉर्म टिकट को लेकर किया जा रहा दावा भ्रम फैलाने वाला है।वायरल पोस्ट में यूजर ने क्या किया दावा
फेसबुक पर एक यूजर Mohd Haris (आर्काइव लिंक) ने सात अप्रैल को एक ग्राफिक्स शेयर किया था। जिसमें एक तरफ न्याय काल लिखा था और दूसरी तरफ अन्याय काल लिखा था। न्याय काल को लेकर दावा किया गया कि साल 2014 से पहले प्लेटफॉर्म टिकट 3 रुपये का था। इसके साथ ही न्याय काल में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पंजे की तस्वीर थी। वहीं अन्याय काल में दावा किया गया 2014 के बाद प्लेटफॉर्म टिकट 50 रुपये हो गया है।एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी एक यूजर Manish Kumar Bhumihar (आर्काइव लिंक) ने बिल्कुल यही दावा करते हुए 8 अप्रैल को वही ग्राफिक्स शेयर किया। कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर यूजर्स इस ग्राफिक्स की मदद से केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे थे। बता दें कि भ्रामक दावा करने वाले फेसबुक यूजर इलाहाबाद के रहने वाला है और उसे 12 हजार लोग फॉलो करते हैं