भारत ने दुनिया की सबसे सस्ती टीबी की जांच की जांच करने की तकनीक खोजी है। इसमें सिर्फ 35 रुपये का खर्च आएगा।
भारत ने विश्व में सबसे सस्ती टीबी जांच तकनीक की खोज की है। महज 35 रुपये में मरीज की लार से डीएनए लेकर टीबी वायरस का पता लगाया जा सकता है। यह तकनीक शुरुआती लक्षण में ही संक्रमण की पहचान कर सकती हैकरीब दो घंटे में 1500 से ज्यादा नमूनों की एक साथ जांच करने वाली यह तकनीक इतनी सरल है कि इसे किसी गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने क्रिस्पर आधारित दो तकनीक को खोजा है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस का पता लगाने में पूरी तरह सक्षम हैं। इनमें से एक ग्लो टीबी पीसीआर किट है जिसकी मदद से मरीज के नमूने से डीएनए को अलग किया जा सकता है। वहीं दूसरी तकनीक रैपिड ग्लो डिवाइस है जो एक इनक्यूबेटर है और डीएनए में मौजूद वायरस की पहचान करता है। आईसीएमआर ने इन दोनों तकनीक को बाजार में ले जाने के लिए प्राइवेट कंपनियों से प्रस्ताव मांगा है। इसमें स्पष्ट किया है कि तकनीक पर मालिकाना अधिकार आईसीएमआर के पास सुरक्षित रहेगा। इन्हें पेटेंट कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इनके उत्पादन में सहयोग के लिए आईसीएमआर ने एक टीम का गठन भी किया है।
आईसीएमआर के अनुसार, टीबी एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है जिसके प्रभावी रोग प्रबंधन के लिए सटीक और तीव्र जांच तकनीक होना बहुत जरूरी है। अभी भारत में पारंपरिक जांच तकनीक हैं जो कल्चर आधारित होने के साथ मरीज के लक्षण के 42 दिन में कराई जाती है। इसमें माइक्रोस्कोपी और न्यूक्लिक एसिड-आधारित विधियों का सहयोग लिया जाता है जो काफी समय तेती है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आईसीएमआर और आरएमआरसीएनई डिब्रूगढ़ के शोधकर्ताओं ने मिलकर क्रिस्पर आधारित टीबी जांच तकनीक खोजी है।