Power cut in UP: यूपी में गांवों में छह घंटे की कटौती के आदेश के बाद हाहाकार मचा हुआ है। पावर कॉरपोरेशन की रणनीति पर उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाया है।
प्रदेश में भरपूर बिजली उपलब्ध होने के बावजूद गांवों में छह घंटे कटौती का मामला तूल पकड़ रहा है। स्थिति यह है कि प्रदेश में छह पावर हाउस बिजली की अधिकता यानी रिजर्व शट डाउन (आरएसडी) की वजह से बंद किए गए हैं। वहीं, चार बिजलीघर तकनीकी वजहों और मरम्मत कार्य के चलते बंद किए गए हैं। पावर कॉरपोरेशन की इस रणनीति पर उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाया है और इसे उपभोक्ताओं के साथ नाइंसाफी बताया है।
सूत्रों की मानें तो प्रदेश में लगी उत्पादन इकाइयों से पावर कॉरपोरेशन बिजली खरीदता है। इसकी दरें अलग-अलग हैं, जो औसतन तीन रुपये प्रति यूनिट से ज्यादा पड़ती है। छह घंटे की कटौती के बाद एक तरह प्रदेश में मांग घटकर 25 से 27 हजार मेगावाट के बीच पहुंच गई है तो दूसरी तरफ एक्सचेंज पर खरीद 70 पैसे से लेकर चार रुपये प्रति यूनिट तक है। ऐसे में इन यूनिटों से उत्पादन करने में मुनाफा कम खर्च ज्यादा हो रहा है। यही वजह है कि छह यूनिटों को आरएसडी के तहत बंद कर दिया गया है।
पहली बार रोस्टर के बीच आरडीएस में बंद हुई छह इकाइयां
राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि तकनीकी खराबी और मरम्मत के नाम पर बिजली इकाइयां बंद होना सामान्य बात है, लेकिन छह घंटे की कटौती के बीच छह इकाइयों को आरएसडी में बंद करना नाइंसाफी है। इससे स्पष्ट है कि राज्य के पास पर्याप्त बिजली है। इसके बाद भी जानबूझ कर कटौती की जा रही है। कहा, उपभोक्ता परिषद इसके खिलाफ न्यायिक लड़ाई लड़ेगा। कहा, राज्यों में बिजली उत्पादन इकाइयां इसलिए लगती है क्योंकि उसे जनता को बिजली देना होता है, लेकिन प्रदेश में बिजली उत्पादन इकाइयों को इसलिए बंद कर दिया गया है क्योंकि ग्रामीणों को 24 घंटे बिजली नहीं देना है। उन्होंने सीएम से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।