हिमाचल प्रदेश में 1,236 फाइलें मुलजिमों के इंतजार में उच्च न्यायालय और जिलों की अदालतों में सुरक्षित हैं। 46 साल से लंबित आपराधिक मामलों में अदालतें तारीख पर तारीख देते थक गईं
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हिमाचल प्रदेश में 46 साल से लंबित आपराधिक मामलों में अदालतें तारीख पर तारीख देते थक गईं। अब मामले की पत्रावलियां मुलजिमों का इंतजार करेंगी। इन वर्षों में तारीखें बहुत लगीं, पर पुलिस मुलजिम को पेश नहीं कर सकी। मजबूरन अदालत को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। कोर्ट ने पत्रावलियों को दफ्तर में सुरक्षित रखने का आदेश दे दिया। अब इन फाइलों पर तब तक तारीखें नहीं लगेंगी, जब तक पुलिस को मुलजिम मिल नहीं जाते।
थाना बालूगंज से संबंधित 46 साल पुराना चोरी का मुकदमा जेएमआईसी कोर्ट में विचाराधीन है। यह मामला सात साल की कैद और जुर्माने से दंडनीय है। धन बहादुर पुत्र जार सिंह बेटनी, तहसील एवं जिला सुरखेत, नेपाल निवासी हाल निवासी जाखू, शिमला शहर मुख्य आरोपी है। जेल से वह जमानत पर छूटा था। अब 45 साल से फरार है। मार्च 1979 से अदालत कई बार आरोपी को कोर्ट में पेश करने के आदेश जारी कर चुकी है। मगर, आरोपी को पुलिस गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश नहीं कर सकी है। कोर्ट ने पत्रावलियों को दाखिल दफ्तर करने का आदेश दे दिया।
केस-2: धोखाधड़ी के 31 वर्ष बाद भी कोर्ट में पेश नहीं
यह मामला राजधानी के सदर थाना क्षेत्र का है। ओपी बाबर पर धोखाधड़ी का मुकदमा वर्ष 1993 में दर्ज हुआ। यह मामला सात साल की कैद और जुर्माने से दंडनीय है। मामले में कई तारीखें लगीं, जमानती और गैर जमानती वारंट जारी हुए लेकिन आरोपी फरार ही रहा। आरोपी ने पुलिस को मकान नंबर 456, विकासपुरी नई दिल्ली का पता दिया था। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि दिए गए पते पर ओपी ओपी बराड़ नाम का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं।
केस-3: पुलिस को दिए दस्तावेजों में दर्ज पते का कोई गांव ही नहीं