सामूहिक विवाह घोटाले में हुई एफआईआर की कार्रवाई का आधार तो केवल मीडिया,जांच समिति पर प्रश्न चिन्ह
बल्दीराय,सुल्तानपुर।मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में हुई धांधली में जिलाधिकारी द्वारा तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी गई और उसकी रिपोर्ट पर तीन के खिलाफ भले ही प्राथमिकी दर्ज कराई गई हो लेकिन यह जांच किसी के गले नही उतर रही है।ये कार्रवाई तो केवल मीडिया की रिपोर्ट पर हुई लगती है।इसमें विभागीय अधिकारी की मिलीभगत से कतई इनकार नहीं किया जा सकता है।
कुछ अनुत्तरित सवाल आज भी है जिनको जानना जरूरी है। निगम के बाबू को तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी सुषमा वर्मा द्वारा एडीओ का चार्ज क्यों दिया गया। दूबेपुर खंड विकास अधिकारी संदीप सिंह ने एडीओ अभिषेक गिरी के खिलाफ कार्रवाई को पत्र लिखा था,उसे भी संज्ञान नही लिया गया।सामूहिक विवाह निविदा के समय की शिकायतों को जिम्मेदारों द्वारा नजर अंदाज किया गया।जिला मुख्यालय पर एकाउंटेंट का ट्रांसफर उप निदेशक कृषि विभाग अहिमाने हो गया है,इसके बावजूद इनसे अभी तक क्यों काम लिया जा रहा है।सामूहिक विवाह के शासनादेश में स्पष्ट है कि सारे आवेदन पत्र जांच के बाद पोर्टल पर आने पर संबंधित खंड विकास अधिकारी तथा जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा उसकी जांच की जायेगी।इसके बावजूद घोटाला हुआ गया तो जिम्मेदार कौन है।कुड़वार के सोहगौली निवासी विजयधर पाठक ने उनतीस जून को डीएम को पत्र दिया था जिसमे शिकायत का एक विंदु यह भी था कि पिछले वर्ष की तरह इस बार भी एक ब्लॉक की शादियां दूसरे ब्लॉक में करवाई जा रही हैं।डीएम ने इस पत्र को सीडीओ को जांच के लिए लिखा था उस पर भी आजतक कुछ नहीं हुवा।इन्ही सबसे लगता है विभाग के जिम्मेदार लोग निडर होकर इसमें संलिप्त थे।जाहिर है कि उनके ऊपर भी कही न कही किसी का वरदहस्त है।इसलिए जांच टीम ने भी केवल महुली की ही जांच कर औपचारिकता पूरी कर प्राथमिकी दर्ज करा दी है।जब जिला स्तरीय अधिकारी कही न कही दबाव में है तो एक थानाध्यक्ष किस प्रकार की जांच कर पायेगा यह भी बड़ा सवाल है।बाकी गांव में हुई शादियों की सूची भी पोर्टल पर गायब है जो बड़ा सवाल है।