Tuesday, March 11, 2025

‘नेटवर्क का नेटवर्क’: PFMS की उपलब्धियां डीपीआई के बराबर – वित्त मंत्री Sitharaman

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नेशनल डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज भारतीय सिविल लेखा सेवा (आईसीएएस) के 49वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित 49वें सिविल लेखा दिवस समारोह में पीएफएमएस (सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली) की उपलब्धियों को सराहा। उन्होंने कहा कि पीएफएमएस ने शासन के प्रमुख लक्ष्यों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है जिससे 1,200 से अधिक केंद्रीय और राज्य योजनाओं के तहत 60 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सीधे लाभ हुआ है।

पीएफएमएस की महत्वपूर्ण योजनाएं 

निर्मला सीतारमण ने बताया कि पीएफएमएस ने 1,100 डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजनाओं के माध्यम से और एकीकरण के जरिए एंड-टू-एंड डिजिटलीकरण के साथ योजना बनाई है। इनमें जीईएम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस), जीएसटीआईएन (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर), टीआईएन 2.0 और पीएम किसान जैसी 250 से अधिक बाहरी प्रणालियों को भी जोड़ा गया है।

वित्त मंत्री ने कहा, “हमारे द्विपक्षीय वार्ताओं के दौरान कई देश भारत के डिजिटल भुगतान इंटरफेस में रुचि दिखाते हैं। यह केवल विकासशील देशों तक ही सीमित नहीं है बल्कि विकसित देश भी हमारी प्रणालियों की सराहना करते हैं। वे यह चर्चा करते हैं कि हम अपनी विशेषज्ञता उनके साथ कैसे साझा कर सकते हैं।” उन्होंने पीएफएमएस की उपलब्धियों को डीपीआई (डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर) के समान बताया और विश्वास जताया कि इससे कई देश लाभान्वित होंगे।

डेटा प्रशासन और संग्रहण में सुधार 

वित्त मंत्री ने कहा कि तकनीकी उपकरणों के सक्रिय उपयोग से डेटा प्रशासन और डेटा के संग्रहण, प्रसंस्करण और प्रबंधन में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय लेखा कार्यालय (सीजीए) के पास “विशाल डेटाबेस” का संरक्षण करने की क्षमता है।

शहरी और ग्रामीण निकायों के बीच सामंजस्य की जरूरत 

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के सचिव मनोज गोविल ने कहा कि बेहतर वित्तीय रिपोर्टिंग के लिए केंद्र और राज्य के खातों में सामंजस्य स्थापित करना जरूरी है। इसके साथ ही शहरी, ग्रामीण और स्थानीय निकायों के खातों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करना आवश्यक है।

PFMS को डिजिटल बुनियादी ढांचा मानते हुए अंतरराष्ट्रीय महत्व

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि पीएफएमएस विभिन्न आर्थिक संस्थाओं के बीच कुशल और पारदर्शी लेन-देन को सक्षम करने वाला एक “महत्वपूर्ण डिजिटल बुनियादी ढांचा” है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यूपीआई और पीएफएमएस को भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक पहुंच और वैश्विक संबंधों का हिस्सा होना चाहिए।

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