बंधक के रूप में बैंक में जमा कराई गई मकान की रजिस्ट्री गुम हो जाने पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम की अदालत ने आदेश दिया है कि बैंक वादी को एक लाख 30 हजार रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दे। वादी ने बैंक से 27 लाख रुपये का लोन लिया था और तय समय सीमा में पूरा लोन भी बैंक को अदा कर दिया था। नो ड्यूज मिलने के बाद जब वादी ने बैंक से रजिस्ट्री वापस मांगी तो बैंक की ओर से बताया गया कि वह कहीं गुम हो गई है।इंदिरा नगर निवासी अभिमन्यु यादव ने 4 जुलाई 2024 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम की अदालत में परिवाद दाखिल किया था। इसमें उन्होंने बताया था कि यूके से एमबीए करने के लिए उन्होंने 13 जून 2014 को 27 लाख के लोन के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की विपुलखंड गोमतीनगर स्थित शाखा में आवेदन किया था। 22 सितंबर 2014 को उन्हें लोन दिया गया जिसकी अदायगी 120 समान किश्तों में करनी थी। इसके एवज में परिवादी के पिता ने इंदिरानगर स्थित अपने घर की रजिस्ट्री के मूल दस्तावेज को बैंक के पास बंधक के रूप में जमा कराया था। 17 जुलाई 2021 में समस्त राशि की सभी किश्तों का भुगतान कर दिया गया। इसके बाद बैंक की ओर से 31 जुलाई 2021 को नो-ड्यूज भी जारी कर दिया गया। इसके बाद जब बैंक से घर की रजिस्ट्री के दस्तावेज मांगे गए तो बताया गया कि दस्तावेज कहीं गुम हो गए हैं।
Lucknow News: एमबीए करने के लिए लिया 27 लाख का लोन, बैंक ने बंधक के रूप में जमा कराई घर की रजिस्ट्री खो दी, कोर्ट ने लगाया 1.30 लाख का जुर्माना


