मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के खिलाफ नागपुर विधानसभा में उठाए गए जमीन घोटाला मामले पर एनसीपी के नेता अजित पवार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो जिस घोटाले में एकनाथ शिंदे का नाम घसीटा जा रहा है। उसे जगजाहिर करने और उसके खिलाफ जनहित याचिका दायर (PIL) करने वाले लोग कोई और नहीं बल्कि उनके ही सहयोगी दल बीजेपी (BJP) के हैं। नागपुर भूखंड घोटाले (Nagpur Land Scam) के लिए बीजेपी के लोगों नेे ही एकनाथ शिंदे के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) नेे यह दावा किया है। एनसीपी नेता जयंत पाटिल (Jayant Patil) के खिलाफ विधानसभा में निलंबन की कार्रवाई से विपक्षी दल खासतौर पर एनसीपी काफी नाराज हैं।अजित पवार ने कहा कि सरकार बीते छह महीनों से हुक्म चला रही है। अपने नेताओं को क्लीन चिट दी जा रही है जबकि विपक्षी दल के नेताओं को परेशान किया जा रहा है। इसी दौरान उन्होंने यह खुलासा किया कि एकनाथ शिंदे का जमीन घोटाला कौन बाहर लाया? पवार ने कहा कि आने वालेे समय में शिंदे-बीजेपी गठबंधन (Shinde-BJP Alliance) में बड़ी दरार पड़ सकती है
क्या बोले अजित पवार?
अजित पवार ने कहा कि 83 करोड़ की जमीन को सिर्फ दो करोड़ में आवंटित किया गया। शिंदे पर भूखंड का श्रीखंड खाने का आरोप लग रहा है। यह मामला सबसे पहले उद्धव ठाकरे की सरकार में और अब उनकी सरकार में शामिल बीजेपी के कुछ लोगों ने जनहित याचिका दायर की थी। सांसद संजय राउत ने भी यही बात कही थी सांसद संजय राउत ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यही बात कही है उन्होंने भी कहा कि चंद्रशेखर बावनकुले, विधायक प्रवीण दटके और विदर्भ के लोगों ने इस मामले में सवाल उठाया था। अब इसी विषय को हमने भी उठाया है। राउत ने कहा कि इसका बात सीधा मतलब यह निकलता कि बीजेपी के नेता एकनाथ शिंदे के भ्रष्टाचार को दुनिया के सामने लाना चाहते हैं।
संजय राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की खोखे सरकार (शिंदे गुट) को यह बात अपने दिमाग में अच्छी तरह से उतार लेनी चाहिए कि चंद्रशेखर बावनकुले ने कुछ दिन पहले ही यह कहा था कि वह महाराष्ट्र बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान ही देवेंद्र फडणवीस को बतौर मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं।
क्या है पूरा मामला
बीते मंगलवार को जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई और उपसभापति नीलम गोर्हे ने जैसे ही प्रश्नोत्तर काल पुकारा, नेता प्रतिपक्ष दानवे ने कहा, ‘नागपुर सुधार न्यास ने झुग्गियों में रहने वालों के पुनर्वास के लिए साढ़े चार एकड़ भूखंड आरक्षित किया था। हालांकि, पूर्व शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे (अब मुख्यमंत्री) ने इस भूखंड के टुकड़ों को 16 निजी व्यक्तियों को डेढ़ करोड़ रुपये में आवंटित कर दिया था, जबकि भूमि का मौजूदा मूल्य 83 करोड़ रुपये है।’ दानवे ने कहा, ‘यह बेहद गंभीर मामला है। मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने भूमि सौंपने पर पहले ही रोक लगा दी थी।
एकनाथ शिंदे को बड़ी राहत
दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट को पहले बताया गया था कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए तय जमीन निजी व्यक्तियों को आवंटित की गई थी। उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच के न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति एम डब्ल्यू चंदवानी की खंडपीठ ने 2021 में शिंदे द्वारा लिए गए भूमि आवंटन के फैसले पर इस साल 14 दिसंबर को स्टे ऑर्डर (यथास्थिति बहाल) दिया था।
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अब मुख्यमंत्री ने अपने 16-12-2022 के आदेश के अनुसार नियमितीकरण का आदेश वापस ले लिया है, हमारा विचार है कि इस न्यायालय की ओर से 14-12-2022 को पारित आदेश का मकसद पूरा हो गया है। अब यह मुद्दा खत्म हो गया है।’