मथुरानगर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मथुरानगर, जहां अपने कक्ष से चिकित्सक अनुपस्थित मिले। जिसके कारण मरीजों व तीमारदारों को उपचार के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ा। ऐसे में सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधा देने का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है। चिकित्सक नदारद हैं। ऐसे में उपचार हो पाना संभव नहीं है। सीएचसी परिसर में झाड़ी व कूड़ा फैला दिखा।
अस्पताल के पीछे बने अपशिष्ट निस्तारण कक्ष में ताला लगा मिला, वही पास में ही उपयोग की हुई सिरिंज, खाली ग्लूकोज की बोतलें व एक्सपायर दवाएं पड़ी हुई थी। पूरे परिसर में गंदगी की भरमार थी। सीएचसी में स्टाफ के लिए पर्याप्त संख्या में आवास हैं। लेकिन, यहां पर कोई डाक्टर रात्रि निवास नहीं करता। इमरजेंसी होने पर गंभीर मरीजो को यहां से जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। स्वास्थ्य केंद्र में एक्सरे व अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा नहीं है। मरीजों को रेफर किया जाता है। एक्सरे टेक्नीशियन प्रमोद कुमार की यहां पर तैनाती है। इनका वेतन यहां से निकल रहा है उसके बाद भी यहां एक्सरे मशीन नही है।
पैथालाजी में केवल ब्लड से संबंधित जांच की सुविधाएं है। मथुरानगर सीएचसी 30 बेड का अस्पताल है। यहां केवल 26 बेड मौजूद हैं।इसमें से 24 बेड डिलीवरी रूम व दो बेड इमरजेंसी रूम में हैं। वहीं, मरीजों की संख्या ज्यादा होने पर दिक्कत उत्पन्न हो जाती है। जहा पर चिकित्साधिकारी का आवास है वह पर भी गंदगी की भरमार है और अस्पताल परिसर में एक्सपायर दवाइयां इधर उधर पड़ी मिली जिनको कंपोज नही किया गया।
बाराबंकी से जिला संवाददाता फहद खान की रिपोर्ट