Thursday, November 21, 2024

16 फीसदी बढ़ेगा जीडीपी का आकार, इस साल 7.5 फीसदी रहेगी विकास दर

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एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सोम्यकांति घोष ने कहा कि कच्चे तेल के दाम 120 डॉलर प्रति बैरल से अधिक रहने पर चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 6.5-6.7% रह सकती है। तरलता के मोर्चे पर कहा कि आरबीआई रेपो दर धीरे-धीरे बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देगा। जून और अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समिति बैठक में रेपो दर में 0.50% वृद्धि हो सकती है।भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2022-23 में 0.20 फीसदी बढ़कर 7.5 फीसदी रह सकती है। इस दौरान जीडीपी के आकार में भी 16.1 फीसदी इजाफा होगा। एसबीआई रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा कि उच्च महंगाई और उसके बाद ब्याज दरों में होने वाली वृद्धि को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी में 11.1 लाख करोड़ की बढ़ोतरी होगी।

यह 2022-23 में 7.5 फीसदी की वास्वतिक जीडीपी वृद्धि दर्शाता है, जो हमारे पिछले अनुमान से 0.20% ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा मूल्य पर 2021-22 में जीडीपी का आकार 38.6 लाख करोड़ बढ़कर 237 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो सालाना आधार पर 19.5% अधिक है।2022-23 की पहली छमाही में महंगाई उच्च स्तर पर रहती है तो मौजूदा मूल्य पर इस साल जीडीपी का आकार 16.1% बढ़कर 275 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। उधर, हाल ही जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर 8.7 फीसदी रही। जीडीपी 11.8 लाख करोड़ बढ़कर 147 लाख करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, महामारी आने से पहले के वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले यह सिर्फ 1.5% ही ज्यादा है।

अगस्त तक 0.50 फीसदी बढ़ेगी रेपो दर
एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सोम्यकांति घोष ने कहा कि कच्चे तेल के दाम 120 डॉलर प्रति बैरल से अधिक रहने पर चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 6.5-6.7% रह सकती है। तरलता के मोर्चे पर कहा कि आरबीआई रेपो दर धीरे-धीरे बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देगा। जून और अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समिति बैठक में रेपो दर में 0.50% वृद्धि हो सकती है। नकद आरक्षित अनुपात भी जून में 0.25% बढ़ सकता है। इसमें आगे कहा गया है कि केंद्रीय बैंक कोविड काल में चार फीसदी रही रपो दर में 1.25-1.5% तक वृद्धि कर सकता है।

10.2% पहुंच सकता है राजकोषीय घाटा 
यूबीएस सिक्योरिटीज ने कहा, ब्याज दर बढ़ाकर महंगाई को काबू करने के प्रयासों से राजकोषीय घाटा 2022-23 में जीडीपी के 10.2% के उच्च स्तर पर पहुंच सकता है। हालांकि, यह एक साल पहले से 0.20 फीसदी कम होगा। इस दौरान केंद्र का राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी और राज्यों का 3.4 फीसदी रहने का अनुमान है।

यूपीआई : पहली बार 10 लाख करोड़ का लेनदेन
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये पहली बार 10 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। एनपीसीआई के मुताबिक, मई में यूपीआई के जरिये 595 करोड़ लेनदेन हुए। अप्रैल में यह 558 करोड़ था। मई, 2021 में लेनदेन 5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया। 2021-22 में 77.5 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ।

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