Friday, November 22, 2024

लखनऊ विधान परिषद चुनाव में शिक्षक नेताओं का वर्चस्व खत्म कर भाजपा ने बढ़ाई ताकत, कारगर रही रणनीति

यह भी पढ़े

लखनऊ: विधान परिषद की शिक्षक एवं स्नातक खंड की पांच में से चार सीटें जीतकर भाजपा ने उच्च सदन में शिक्षक दल गैर राजनीतिक और निर्दल समूह के वर्चस्व को खत्म कर अपनी ताकत और बढ़ा ली है। छह साल पहले परिषद में मात्र नौ सदस्यों के साथ सत्तापक्ष में बैठी भाजपा ने धीरे-धीरे न केवल अपनी संख्या को बढ़ायी, बल्कि सपा, बसपा के साथ परिषद चुनाव में शिक्षक एवं स्नातक खंड के क्षत्रप शर्मा गुट के शिक्षक दल (गैर राजनीतिक) और चंदेल गुट के निर्दलीय समूह को इकाई पर समेट दिया है। परिषद में पहले इन्हीं दोनों का दबदबा था।

विधान परिषद

विधान परिषद की शिक्षक एवं स्नातक खंड की पांच में से चार सीटें जीतकर भाजपा ने उच्च सदन में शिक्षक दल गैर राजनीतिक और निर्दल समूह के वर्चस्व को खत्म कर अपनी ताकत और बढ़ा ली है। छह साल पहले परिषद में मात्र नौ सदस्यों के साथ सत्तापक्ष में बैठी भाजपा ने धीरे-धीरे न केवल अपनी संख्या को बढ़ायी, बल्कि सपा, बसपा के साथ परिषद चुनाव में शिक्षक एवं स्नातक खंड के क्षत्रप शर्मा गुट के शिक्षक दल (गैर राजनीतिक) और चंदेल गुट के निर्दलीय समूह को इकाई पर समेट दिया है। परिषद में पहले इन्हीं दोनों का दबदबा था। शिक्षक दल गैर राजनीतिक की पूर्व एमएलसी ओमप्रकाश शर्मा और निर्दलीय समूह की कमान राज बहादुर सिंह चंदेल व पूर्व एमएलसी चेतनारायण सिंह के हाथ थी। 2020 के चुनाव में भाजपा ने पुराने और मंझे खिलाड़ी ओमप्रकाश शर्मा, चेत नारायण सिंह और संजय मिश्रा को शिकस्त दी। सहारनपुर-मेरठ मंडल में त्रिकोणीय संघर्ष में हेमसिंह पुंडीर भी चुनाव हार गए।

दो तिहाई सीटें भाजपा के कब्जे में 

इस चुनाव के शुक्रवार को आए नतीजों में भाजपा ने झांसी-प्रयागराज सीट शर्मा गुट के अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी से छीन ली। अब सदन में शर्मा गुट से मात्र ध्रुव कुमार त्रिपाठी और चंदेल गुट से राज बहादुर सिंह चंदेल और आकाश अग्रवाल सदस्य हैं। परिषद की 100 में से 6 सीटें खाली हैं। भाजपा ने 76 सीटों के साथ दो तिहाई से अधिक सीटों पर कब्जा जमा लिया है। मनोनीत कोटे की छह सीटों पर मनोनयन के बाद भाजपा के सदस्यों की संख्या 82 हो जाएगी, जबकि, सपा के 9 और बसपा का मात्र एक सदस्य है। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस की उपस्थिति तक नहीं है।

सिमटती गई सपा 
परिषद में 2017 में सपा के 60 से अधिक सदस्य थे। सबसे बड़ा झटका उसे विधानसभा चुनाव 2022 से पहले लगा, जब उसके एक दर्जन एमएलसी भाजपा में शामिल हो गए। परिषद की स्थानीय निकाय सीटों पर हुए चुनाव में सपा का सूपड़ा साफ हो गया। 9 सदस्यों के साथ इकाई तक सिमटी सपा नेता प्रतिपक्ष की स्थिति में भी नहीं रह गई है।

संवाददाता :अफीफा मलिक 

- Advertisement -
Ads

ट्रेंडिंग न्यूज़

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement

अन्य खबरे