ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विजय माल्या पहले ही भगोड़े घोषित हो चुके हैं। फिलहाल वह लंदन में हैं और भारत सरकार ब्रिटेन की सरकार से उनके प्रत्यर्पण की कोशिश में जुटी है।
कोर्ट ने सीबीआई की दलीलों को सुनने के बाद और विजय माल्या के भगोड़े होने की स्थिति के आधार पर कहा कि ‘माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के लिए यह मामला बिल्कुल उपयुक्त है, ताकि उनकी अदालत में उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके।’ सीबीआई ने कोर्ट की सुनवाई के दौरान कहा कि जांच में पता चला कि दिवालिया एयरलाइंस किंगफिशर के प्रमोटर विजय माल्या ने जानबूझकर सरकारी बैंक से लिए 180 करोड़ रुपये के कर्ज को नहीं चुकाया। ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विजय माल्या पहले ही भगोड़े घोषित हो चुके हैं। फिलहाल वह लंदन में हैं और भारत सरकार ब्रिटेन की सरकार से उनके प्रत्यर्पण की कोशिश में जुटी है।
चार्जशीट के अनुसार, विजय माल्या ने साल 2007 से 2012 के बीच उस वक्त संचालित हो रही किंगफिशर एयरलाइंस के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक से 180 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। जांच एजेंसी का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2010 में एसबीआई बैंक को विमानन क्षेत्र के लिए एकमुश्त उपाय के लिए किंगफिशर एयरलाइंस के प्रस्ताव पर विचार करने का निर्देश दिया था। इसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक समेत 18 बैंकों के संघ ने किंगफिशर एयरलाइंस के साथ एमडीआरए समझौता किया। आरोप है कि किंगफिशर के प्रमोटर विजय माल्या ने धोखाधड़ी के इरादे से पुनर्भुगतान दायित्वों को जानबूझकर पूरा नहीं किया। इससे बैंक को 141.91 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और कर्ज को शेयरों में बदलने के कारण 38.30 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान हुआ। पूर्व राज्यसभा सांसद विजय माल्या मार्च 2016 में भारत छोड़कर चले गए थे। जनवरी 2019 में माल्या के खिलाफ कई कर्ज न चुकाने और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी बनाया गया।