हाथरस हादसे के बाद सोशल मीडिया पर नित-नए वीडियो प्रसारित हो रहे हैं, जिन्हें देखकर बाबा के प्रति कहीं गुस्सा तो कहीं समर्थन दिख रहा है। रविवार को एक ऐसा ही वीडियो प्रसारित हुआ, जिसमें हाथरस के अस्पताल में एक बेटा अपनी मां की लाश देख बाबा को जमकर भला बुरा कह रहा है। मां के शव से बाबा के ताबीज उतारकर जमीन पर फेंक दिए और फिर उन्हें पैरों से कुचल रहा
सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे इस वीडियो को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाबा के प्रति लोगों में कितना गुस्सा है। इस वीडियो में अस्पताल में बेड पर कई शव हैं। उन्हीं में एक शव युवक की मां का है।
युवक मां के शव के पास पहुंचकर बिलखते हुए चीखकर कहता है कि खूब मना किया था। बाबा के पाखंड में मत पड़ो। सत्संग में मत जाओ। मगर बात नहीं मानी। फिर बाबा से कहता है कि अगर वह वाकई भगवान है तो मेरी मां को वापस लौटाए।
इसी बीच मां के शव पर गले में लटके बाबा के ताबीजों को उतार लेता है। उन्हें हाथों से कुचलने का प्रयास करता है। फिर गुस्से में जमीन पर फेंककर उन्हें पैरों से कुचलता है।
इसके बाद बाबा को अपशब्द कहते हुए गुस्सा उतारता है। सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे इस तरह के सभी वीडियो पुलिस जांच का हिस्सा बन रहे हैं। इन्हें घटना से जोड़कर देखा जा रहा है। लेकिन इन प्रसारित वीडियो की अमर उजाला पुष्टि नहीं करता है।
पीड़ित बोले-बाबा की संपत्तियां बेचकर की जाए हमारी बेटियों की जिम्मेदारी पूरी
सिकंदराराऊ हादसे से जुड़े पीड़ित परिवारों में बाबा के प्रति गुस्सा पनप रहा है। उनकी ओर से मांग उठ रही है कि जब हमने उन्हें भगवान माना तो वे भी हमारी सुनें। सरकार भी इस पर ध्यान दे। बाबा की संपत्तियों को बेचकर हमारे परिवार की बेटियों की शादी से लेकर जीवन की अन्य जिम्मेदारियों को पूरा किया जाए।
इस हादसे में महानगर के नगला मेहताब की सर्वेश देवी की मौत हुई। रविवार को जब उनके पति हृदेश से बात हुई तो उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी परिवार की महिलाओं के साथ सत्संग सुनने गई थीं। उन्हें नहीं पता था कि वह नहीं लौटेगी।
वरना वह कभी जाने नहीं देता। वह खुद पिछले काफी समय से दुर्घटना में जख्मी होने के कारण बिस्तर पर है और उपचार पा रहा है। उसके सात वर्ष की बेटी व बेटा है। परिवार कैसे संभलेगा और कैसे बच्चों का जीवन कटेगा। ये सब उसके सवाल हैं।
हृदेश का कहना है कि हमारे परिवार ने बाबा को भगवान माना। अब बाबा को हमारी सुननी चाहिए। सरकार को भी चाहिए कि अगर बाबा न मानें तो उनकी संपत्तियों को बेचकर हमारे जैसे मजदूर व कमजोर परिवारों की बेटियों की शादी व उनके जीवन का जिम्मा पूरा किया जाए।
इसी तरह सारसौल के दूधपाल कहते हैं कि वह राजमिस्त्री हैं। उनकी पत्नी राजकुमारी की इस हादसे में जान गई है। उसके चार बच्चे हैं। परिवार को चलाने में पत्नी का विशेष सहयोग था। अब वह अकेला पड़ गया है। हादसे के बाद बाबा की ओर से किसी तरह की सूचना, सहयोग या समर्थन नहीं आया है।
फिर ऐसे बाबा से क्या उम्मीद रखें। इस मामले में तो सरकार को चाहिए कि बाबा की संपत्तियों को बेचकर उनसे हमारे परिवारों की जिम्मेदारी पूरी की जाएं। इस हादसे में तमाम कमजोर वर्ग के लोगों की जान गई हैं। उनकी बेटियों की जिम्मेदारी पूरी कराई जाए।