Thursday, November 21, 2024

कैसा रहा पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश बनने का सफर ? भारत ने भी दिया था अपने पड़ोसी देश का साथ

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नेशनल डेस्क : पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश बनने की यात्रा एक जटिल और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना रही है। इस प्रक्रिया में कई राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक कारक शामिल थे। भारत ने भी दिया था अपने पड़ोसी देश का साथ।आइए जानते है केैस रहा एक अलग देश बनने का सफर …

पूर्वी पाकिस्तान का उदय और बांग्लादेश का निर्माण

1. भारतीय उपमहाद्वीप की विभाजन की पृष्ठभूमि (1947)

  • विभाजन का निर्णय: 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप का विभाजन हुआ, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र बने। पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांटा गया: पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश)। ये दोनों हिस्से हजारों किलोमीटर की दूरी पर स्थित थे और भौगोलिक रूप से अलग थे।
  • पूर्वी पाकिस्तान की स्थिति: पूर्वी पाकिस्तान, बंगाली भाषी क्षेत्र था और सांस्कृतिक और भाषाई दृष्टि से पश्चिमी पाकिस्तान से काफी अलग था। हालांकि, पाकिस्तान के केंद्रीय प्रशासन और सेना का प्रमुख केंद्र पश्चिमी पाकिस्तान में था।

2. प्रारंभिक संघर्ष और असंतोष

  • भाषा आंदोलन (1952): पूर्वी पाकिस्तान में उर्दू को पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने का प्रयास किया गया, जबकि वहां की मुख्य भाषा बंगाली थी। इस पर बंगालियों के विरोध के चलते 1952 में ‘भाषा आंदोलन’ हुआ, जिसमें कई छात्रों की मौत हो गई। यह आंदोलन बंगाली पहचान और स्वायत्तता की पहली महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति थी।
  • राजनीतिक असंतोष: 1960 के दशक में, पूर्वी पाकिस्तान में राजनीतिक असंतोष बढ़ता गया। लोग पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा की गई आर्थिक और राजनीतिक उपेक्षा से नाराज थे। पूर्वी पाकिस्तान को आर्थिक संसाधनों के असमान वितरण और राजनीतिक अधिकारों की कमी का सामना करना पड़ा।

3. 1970 का आम चुनाव और विवाद

  • 1970 का चुनाव: पाकिस्तान में 1970 में आम चुनाव हुए, जो पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण थे। पूर्वी पाकिस्तान में आयोजित चुनाव में ऑल इंडिया मुक्ति पार्टी (Awami League) को बहुमत मिला, और इसके नेता शेख मुजीबुर्रहमान ने बहुमत प्राप्त किया। लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान के नेता जनरल याहिया खान ने चुनाव के परिणामों को स्वीकार नहीं किया।
  • राजनीतिक गतिरोध: चुनाव के परिणामों को मानने से इनकार करने के कारण पूर्वी पाकिस्तान में तनाव और अशांति बढ़ गई। शेख मुजीबुर्रहमान की नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मुक्ति पार्टी की मांग थी कि पूर्वी पाकिस्तान को पूर्ण स्वायत्तता दी जाए, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान की सरकार ने इसका विरोध किया।

4. बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (1971)

  • सैनिक कार्रवाई और संघर्ष: 1971 की शुरुआत में, पूर्वी पाकिस्तान में स्थिति बिगड़ गई और संघर्ष ने उग्र रूप धारण कर लिया। 25 मार्च 1971 को पाकिस्तान के सैनिकों ने पूर्वी पाकिस्तान में ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ शुरू किया, जिसमें व्यापक दमन और मानवाधिकार उल्लंघन हुए।
  • स्वतंत्रता संघर्ष: इस दमन के खिलाफ बंगालियों ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की शुरुआत की। इस संघर्ष में बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों ने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया। भारत ने भी इस संघर्ष में बांग्लादेश का समर्थन किया और 3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत हुई।
  • स्वतंत्रता की घोषणा: 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश के खिलाफ आत्मसमर्पण कर दिया। बांग्लादेश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई और इसे एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी गई।

5. स्वतंत्र बांग्लादेश का गठन

  • राजनीतिक पुनर्निर्माण: स्वतंत्रता के बाद, बांग्लादेश ने अपनी राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई प्रयास किए। शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने और देश की नई सरकार का गठन हुआ।
  • आर्थिक और सामाजिक चुनौतियाँ: स्वतंत्रता के बाद बांग्लादेश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें युद्ध के बाद की स्थिति, आर्थिक संकट और सामाजिक मुद्दे शामिल थे। हालांकि, धीरे-धीरे देश ने प्रगति की और अपने विकास की दिशा में कदम बढ़ाए।

पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश बनने की यह यात्रा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है, जो न केवल उपमहाद्वीप की राजनीति को प्रभावित करती है बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ रही है।

 

 

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