Thursday, March 13, 2025

Auraiya News: डकैतों ने आपसी वर्चस्व में 12 निर्दोषों को भून डाला था

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अयाना (औरैया)। इटावा जेल में बंद दस्यु कुसुमा नाइन की बीमारी के चलते मौत हो गई। यह खबर लगते ही बीहड़ पट्टी के अस्ता गांव के 12 लोगों के नरसंहार की चीखें ताजा हो गईं।लोगों का कहना है इन डकैतों ने अपने वर्चस्व को लेकर 12 निर्दोष लोगों को गोलियों से भून दिया था। इसे याद कर आज भी बुजुगोंर् की रूह कांप जाती है।
बीहड़ में राज करने व अपने वर्ग के लोगों के पनाहगार बनने की होड़ में दस्युओं ने निर्दोष जनता पर जमकर कहर बरपाया था। लोगों में चर्चा रही कि इसकी शुरुआत दस्यु फूलन देवी ने 20 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के बेहमई में 20 लोगों की हत्या कर दी थी। इस घटना का बदला लेने के लिए दस्यु लालाराम, श्रीराम व कुसुमा ने औरैया के अस्ता गांव को वर्ष 1984 में निशाना बनाया।डकैतों ने बेवजह 12 निर्दोष दर्शन सिंह, रामशंकर, लालाराम, छोटेलाल, धनीराम, महादेव, भीखालाल, शंकर, बांकेलाल, लक्ष्मीनरायन, शिव कुमारी व मुन्वेश को लाइन में खड़ा कर ताबड़तोड़ फायरिंग कर मार डाला था। इसके बाद गांव में आग लगा दी थी। घटना के बाद दस्यु कुसुमा ने सरेंडर कर दिया था।
डकैतों की वर्चस्व की जंग में एक खुशहाल गांव पूरी तरह से बर्बाद हो गया। घटना के बाद नेताओं ने नरसंहार में जान गंवाने वालों की याद में यहां एक स्मारक बनवाया। इसके बाद गांव को नजरअंदाज कर दिया। गांव में विकास न होने से यहां के युवाओं को दूसरे शहरों में जाकर काम करना पड़ रहा है। वहीं कुसुमा की मौत को लेकर ग्रामीणों ने कहना है कि उन्हें इस घटना में पूर्ण रूप से न्याय नहीं मिला है।

गवाही देने पर 28 साल से अंधकार में जीवन काट रहे दो दोस्त
असेवा निवासी संतोष (52) ने बताया कि दस्यु फक्कड़ बाबा उर्फ राम आसरे के भांजे रमाकांत, मोहन और पप्पू ने कामता प्रसाद की हत्या कर दी थी। संतोष ने बताया कि इस मामले का वह चश्मदीद था।
उसकी गवाही से भांजों को सजा होने के डर से दस्यु ने उनको सबक सिखाने का एलान किया था। 15 दिसंबर 1996 की रात 10 बजे के करीब कुसुमा नाइन की अगुवाई में करीब 15 डकैतों ने उसके घर को घेर लिया। डकैत उसको व घर पर सो रहे उसके मित्र राजबहादुर (58) सहित गांव के छह लोगों को बंधक बनाकर गांव से चार किमी दूर बीहड़ में ले गए।
वहां डकैतों ने उनके साथ बेरहमी से मारपीट की। इसके बाद धारदार हथियार से उसकी व मित्र राजबहादुर की आंखें फोड़ दीं। शेष चार साथी उन्हें किसी तरह गांव लेकर गए। घटना की रिपोर्ट राजबहादुर के भाई महलवान सिंह ने अयाना थाना में दर्ज कराई थी।
दस्युओं के विरोध में आंखें गंवाने वाले दोनों दोस्तों का कहना है कि दस्युओं ने बीहड़ पर जमकर कहर बरपाया था। जिससे आज तक बीहड़ उभर नहीं सका है। विकास न होने से बीहड़ पट्टी के गांवों के लोग शहर की ओर रुख करने लगे हैं।
दीपक जलाकर मनाई दिवाली
अयाना (औरैया)। दस्यु कुसुमा नाइन की मौत की जानकारी पर राजबहादुर ने असेवा में अपने घर पर दीपक जला कर दिवाली मनाई। जबकि संतोष ने अजीतमल स्थित आवास पर दिवाली मनाई। दोनों का कहना है कि कुसुमा ने उनकी आंखें निकाल कर जीवन में अंधकार में कर दिया।

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