दिल्ली। संसद का गर्भपात के मामलों में मां का निर्णय ही सर्वोपर- दिल्ली उच्च न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि असामान्य भ्रूण वाले मामलों में गर्भावस्था के बारे में अंतिम फैसला मां पर ही छोड़ना सही विकल्प है। उच्च न्यायालय ने कहा कि मेडिकल बोर्ड को महिला की शारीरिक और मानसिक दशा का आकलन करने के लिए अनुकूल ढंग से बातचीत करनी चाहिए। बोर्ड की राय में यह संक्षिप्त उल्लेख होना चाहिए कि गर्भावस्था जारी रखने या गर्भपात कराने में महिला को क्या जोखिम हैं। यह अधिकार महिला को विकल्प उपलब्ध कराता है कि वह अपने पेट में पल रहे भ्रूण को जन्म देना चाहती है या उसे गिराना चाहती है।
लखनऊ डेस्क एडिटर : प्रीति शुक्ला