पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया, तो उनकी अंगुली से खून बहने लगा। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया। इसके बदले में, कृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया था।एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में राक्षस राज बलि से तीन पग में उनका सारा राज्य मांग लिया था और उन्हें पाताल लोक में निवास करने को कहा था। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने मेहमान के रूप में पाताल लोक चलने को कहा। जिसे विष्णुजी मना नहीं कर सके। लेकिन जब लंबे समय तक श्री हरि अपने धाम नहीं लौटे तो लक्ष्मीजी को चिंता होने लगी। तब नारद मुनि ने उन्हें राजा बलि को अपना भाई बनाने की सलाह दी। अपने पति को वापस लाने के लिए माता लक्ष्मी गरीब स्त्री का रूप धारण कर राजा बलि के पास पहुंच गईं और उन्हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी। इसके बदले उन्होंने भगवान विष्णु को पाताल लोक से ले जाने का वचन मांग लिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी और माना जाता है कि तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा है।
इस बार भद्रा का मान न होने से रक्षाबंधन पर शनिवार को भाई अपनी बहनों से पूरा दिन राखी बंधवा सकेंगे। पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी। 9 अगस्त की सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक पूर्णिमा तिथि में राखी बंधवाने का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद अपराह्न काल और प्रदोष काल में भी राखी बंधवाई जा सकेगी।


