हेल्थ डेस्क।। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश कुमार तिवारी ने बताया है ,कि इस जबरदस्त ठंड में बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसके साथ ही ह्रदय रोगियों को अपना खास ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा है कि यदि सीने में लगातार भारीपन रहे, गैस जैसी दिक्कत लगातार हो, सीने के बीचों बीच या जबड़ों में दर्द हो, साथ ही घबराहट या बेचौनी महसूस हो तो शीघ्र ही चिकित्सक को दिखाएं। सर्दी में नसें सिकुड़ जाती हैं और यह नसें बाहरी तापमान के प्रति अति संवेदनशील होती हैं। नसें सिकुड़ने पर ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। अचानक बीपी बढ़ने से सीने में दर्द, घबराहट, उलझन और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया जाये, तो ब्रेन स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की नसों में कोलेस्ट्रॉल के कारण 40 फीसद रुकावट पहले से है तो उसमें हृदय रोग के लक्षण दिखाई नहीं देंगे लेकिन ठंड के कारण नसों के सिकुड़ने से यह रुकावट 70 से 80 फीसद हो सकती है जो कि एन्जाइना या हृदय रोग के रूप में प्रकट हो सकती है । बीपी, शुगर और ह्रदय सम्बन्धी समस्या के रोगी, दवाइयों का सेवन सही समय पर करें और नियमित रूप से चिकित्सक की देखरेख में रहें। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि ठंड के मौसम में शरीरिक ग्रतिविधियाँ कम हो जाती हैं ,ऐसे में हल्का भोजन ही शरीर के लिए फायदेमंद होता हैै, क्योंकि गरिष्ठ भोजन को पचाने के लिए पेट का रक्त संचार बढ़ जाता है, और हृदय का रक्त संचार कम हो जाता है। जिससे हृदय की समस्याएं बढ़ जाती हैं, इसलिए तले भुने खाद्य पदार्थ, जंक फूड व मिठाई का सेवन कम करें, इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है इसके अलावा प्रोसेस्ड मीट और डेयरी उत्पादों का सेवन भी कम से कम करें। एल्कोहॉल, तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन न करें, पानी की पर्याप्त मात्रा लेनी चाहिए जिससे डिहाइड्रेशन से बचा जा सके। बासी भोजन के सेवन से बचें। हृदय रोगियों को धूप निकलने पर ही बाहर निकलना चाहिए। कोहरे में घर से निकलना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। नियमित व्यायाम और ध्यान करना चाहिए चिंता, तनाव और अवसाद से दूर रहें। दिन में कम से कम सात से आठ घंटे की नींद अवश्य लें। इसके अलावा एस्प्रिन की गोली अवश्य रखें। आकस्मिक परिस्थिति में चिकित्सक के परामर्श पर एक गोली चबाकर गुनगुने पानी से पी लें। यह खून को पतला करती है जिससे हृदयघात की स्थिति में मृत्यु की संभावना 25 फ़ीसद तक कम हो जाती है और रोगी को अस्पताल तक ले जाने का समय मिल जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि शरीर को गरम रखेंद्य टोपी, मफ़लर, दस्ताना, मोजे और गरम कपड़े पहने गुनगुना पानी पीयेँ, गरम कमरे से निकलकर अचानक ठंडे में न जाएँ।
7 भारत news स्वास्थ्य डेस्क: पूजा दुबे