मेष – मेष राशि के जातकों के हाथ की बनावट कोन के आकार की होती है। उंगलियों की अपेक्षा हथेली बड़ी होती है। मूल में हाथ विस्तृत तथा शीर्ष पर सिकुड़ा होता है। मस्तिष्क विशाल तथा मुखाकृति विद्वत्तासूचक होती है। आपके सिर या कपाल के किसी भी भाग पर चोट का निशान रहेगा अथवा छाती या चेहरे पर कहीं तिल या मस्से का चिह्न रहता है। इस राशि के लोगों की भौंहें हमेशा ऊपर चढ़ी रहती हैं। वह हर समय चौकस बने रहते हैं। हर कार्य में सतर्कता पर पहले इनका ध्यान रहता है। साथ ही साथ वह सफाई पसंदहोते हैं। हर काम साफ-सुथरे ढंग से करना पसंद रहता है। आंखें कमजोर रहती हैं। इस राशि का प्रभाव मस्तिष्क पर रहता है। अतः इन लोगों को मानसिक शांति कम रहती है। मेष राशि के जातकों में ऊष्णता अधिक रहती है। इसलिए गरम गरम चीजों का सेवन करने से शरीर में रोग उत्पन्न होने की संभावना अधिक रहती है।
वृषभ – वृषभ राशि वालों के हाथ की बनावट चौकोर होती है। उनकी लंबाई कम तथा चौड़ाई अधिक रहती है तथा अंगूठा कुछ बड़ा होता है और उसे पीछे मोड़ पाना संभव नहीं होता। वृषभ राशि कंठ पर विशेष प्रभावकारी होती है। इस कारण इस राशि के लोगों में बोलने की असाधारण क्षमता होती है। वृषभ राशि वाले व्यक्ति शरीर से दुर्बल हों, तो उन्हें पौष्टिक अन्न अधिक ग्रहण करना चाहिए तथा चर्बी युक्त पदार्थ कम खाना चाहिए। इस राशि वाले व्यक्तियों को इंद्रिय, अंगुली अथवा गाल पर तिल या मस्से का चिन्ह अवश्य रहता है, जिन व्यक्तियों के हाथ की अंगुली अथवा गाल पर तिल होता है, उनके पास पैसा नहीं बचता है।
मिथुन – मिथुन राशि वालों के हाथ की बनावट त्रिकोणाकृति होती है। मिथुन राशि वाली स्त्री अपने हाथ के संकेत से ही किसी पुरुष को आकर्षित करने की क्षमता रखती है। वैसे इस राशि के हाथ सामान्यतः पतले और लंबे होते हैं। इनके चेहरे पर तिल का निशान होगा या पेट, कान अथवा हाथ पर तिल या मस्सा जन्म से ही रहता है।
कर्क – कर्क राशि वालों के हाथ की बनावट चपटी होती है। उनकी उंगुलियां मोटी होती हैं, पर हथेली कोमल होती है तथा उसके उभार अत्यन्त उन्नत होते हैं। इनके गले, बाहु या इंद्रिय पर तिल का निशान होता है। कपाल पर भी तिल या चोट का चिन्ह होता है।
सिंह – सिंह राशि वालों का हाथ अपेक्षाकृत छोटा होता है। उंगलियों की अपेक्षा हथेली कुछ बड़ी होती है। हाथ मूल में चौड़ा तथा अंगुलियों की ओर पतला होता है। उनका मस्तक उन्नत तथा ललाट विशाल होता है। इनके गले, पेट या पैर पर तिल का चिन्ह होगा अथवा गिरने से हड्डी कमजोर बनी रहेगी।
कन्या – कन्या राशि वालों के हाथ सुडौल तथा चौड़े होते हैं। अंगूठा कुछ छोटा होता है। हथेली पर सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा कुछ अधिक रेखाएं होती हैं। इनकी पीठ, गले, कंधे या गाल पर तिल का चिन्ह अवश्य रहता है।
तुला – तुला राशि वाले का हाथ तिकोना तथा कलात्मक होता है। कम चौड़ी हथेली पर लंबी उंगलियां होती हैं। हथेली पर अपेक्षाकृत अधिक रेखाएं होती हैं। इंद्रिय पर या चेहरे पर तिल का चिन्ह रहता है।
वृश्चिक – वृश्चिक राशि वालों के हाथ की बनावट में हथेली चपटी तथा अधिक मांसल होती है। हाथ लंबा कम चौड़ा और अधिक होता है। शुक्र क्षेत्र बड़ा होता है। अंगूठा छोटा, दृढ़ता एवं हठ का परिचायक होता है। उंगलियां मोटी होती हैं। इनके वक्षस्थल, इंद्रिय, नाक या अंगुली पर तिल का चिन्ह होना चाहिए।
धनु – धनु राशि के जातकों के चेहरे, भुजा, पेट अथवा छाती पर तिल का निशान होता है। यही भाग्योदय का लक्षण समझा जाता है। इनकी अंगुली अथवा घुटने या पैर में चोट का निशान हो सकता है। धनु राशि वालों के हाथ अपेक्षाकृत छोटे होते हैं। हथेली अंगुलियों से बड़ी होती है। हाथ का आकार कुछ शंकु जैसा होता है। वह आधार से चौड़ा तथा उंगलियों की ओर संकरा होता है, परन्तु यह सिंह तथा मेष राशि वालों से बड़ा होता है।
मकर – मकर राशि वालों का हाथ बड़ा चौकोर तथा रचनात्मक होता है। लंबाई की अपेक्षा इनकी चौड़ाई अधिक होती है। अंगूठा लचीला न होने के कारण पीछे की ओर नहीं झुकता। शुक्र का क्षेत्र बड़ा होता है तथा शनि का क्षेत्र भी पर्याप्त विकसित होता है। मकर राशि का प्रभाव शरीर के जोड़ों, हड्डियों, श्रवणेन्द्रिय तथा घुटनों आदि पर होता हैं। अतः इस राशि वालों को वात शूल आदि रोग हो सकते हैं। मकर राशि वाले व्यक्तियों की छाती, इंद्रिय, भुजा या गले पर तिल का निशान रहता है।
कुंभ – कुंभ राशि वालों के हाथ लंबे, सुन्दर, कोमल तथा अत्यंत संवेदनशील होते हैं। उनकी बनावट त्रिकोणीय होती है। दूसरी अंगुली पहली अंगुली से लम्बी तथा छोटी अंगुली से काफी बड़ी होती है। इनका अंगूठा लचीला होता है। इनके गले, पीठ पर या मुंह के बाजू में या कपाल में तिल अथवा मस्सा का चिन्ह रहता है। पैर, घुटने व एड़ी में दर्द रहता है।
मीन – मीन राशि वालों के हाथ चपटे होते हैं। अंगूठे के नीचे का उभार मांसल तथा सुविकसित होता है। छोटी अंगुली के नीचे वाला चन्द्रमा का उभार भी सुविकसित होता है, जो संवेदनशील तथा कल्पनाशीलता का परिचायक होता है। हथेली मांसल होती है। अंगुलियां प्रायः मोटी होती है तथा हाथ मुलायम होता है। इनके गले, कान, भुजा व पैर पर तिल का चिन्ह अथवा अग्नि या शस्त्र से उत्पन्न हुआ चिन्ह रहता है।